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________________ १०० पं० जगन्मोहनलाल शास्त्री साधुवाद ग्रन्थ [खण्ड ग्रन्थ १. कषाय पाहुड़ २. कषाय पाहुडचूणि ३. सत्प्ररूपणा सूत्र ४. मूलाचार ५. समयसार ६. पंचास्तिकाय ७. प्रवचनसार ८. रयणसार सारणी : २ : कुछ मूल ग्रन्थों की गाथा। सूत्र संख्या गाथा संख्या, गाथा संख्या, प्रथम टीकाकार द्वितीय टीकाकार १८० २३३ ( जय धवला) ८००० श्लोक ( ति०५०) ७००० " १७७ १२५२ ( वसुनंदि) १४०९ ( मेधचंद्र) ४१५ ( अमृतचंद्र ) ४४५ ( जयसेन) १७३ १९१ २७५ १५५ १६७ - शास्त्रों में सैद्धान्तिक चर्चाओं के विरोधो विवरण यह विवरण दो शीर्षकों में दिया जा रहा है : (i) एक ही प्रन्थ में असंगत चर्चा-मूलाचार के पर्याप्ति अधिकार की गाथा ७९-८० परस्पर असंगत हैं.५: गाथा ७९ गाथा ८० सौधर्म स्वर्ग की देवियों की उत्कृष्ट आयु ५ पल्य ५प. ईशान स्वर्ग की देवियों की उत्कृष्ट आयु ७ पल्य ५प. सानत्कुमार स्वर्ग में देवियों को उत्कृष्ट आयु ९ प. १७५. घवखा के दो प्रकरण१६-(i) खुद्दक बन्धके अल्प बहुत्व अनुयोग द्वार में वनस्पति कायिक जीवों का प्रमाण सूत्र ७४ के अनुसार सूक्ष्म वनस्पति कायिक जीवों से विशेष अधिक होता है जब कि सूत्र ७५ के अनुसार सक्ष्म वनस्पति कायिक जीवों का प्रमाण वनस्पति कायिक जीवों से विशेष अधिक होता है। दोनों कथन परस्पर बिरोधी हैं । यही नहीं, सूक्ष्म वनस्पति कायिक जीव और सूक्ष्म निगोद जीव वस्तुतः एक ही हैं, पर इनका निर्देश पृथक्-पृथक् है। (i) भागाभागानुगम अनुयोग द्वार के सूत्र ३४ को व्याख्या में विसगतियों के लिये वीरसेन ने सुझाया है कि सत्यासत्य का निर्णय आगम निपुण लोग ही कर सकते हैं । (ii) भिन्न-भिन्न ग्रन्थों में असंगत चर्चायें-(i) तीन वातवलयों का विस्तार यतिवृषम और सिंह सूर्य ने अलग-अलग दिया है: ( अ ) त्रिलोक प्रज्ञप्ति में क्रमशः ११, ११ व ११३ कोश विस्तार है। ( ब ) लोक विभाग में क्रमशः २, १ कोश, एवं १५७५ धनुष विस्तार है । इसी प्रकार सासाइन गुणस्थानवर्ती जीव के पुनर्जन्म के प्रकरण में यतिवृषम नियम से उसे देवगति ही प्रदान करते हैं जब कि कुछ आचार्य उसे एकेन्द्रियादि जीवों की तिथंच गति प्रदान करते हैं। उच्चारणाचार्य और यतिवृषम के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210155
Book TitleAgam Tulya Granth ki Pramanikta Ka Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN L Jain
PublisherZ_Jaganmohanlal_Pandit_Sadhuwad_Granth_012026.pdf
Publication Year1989
Total Pages11
LanguageHindi
ClassificationArticle & Criticism
File Size837 KB
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