________________ स. बाश बुद्ध के सन्देश को सुदूर क्षेत्रों में पहुँचाने का निभाया था, उसी पैदा करने के लिए शिक्षा में प्रयुक्त पुस्तकें, पाठ्य सामग्री में तरह महावीर की अहिंसा सन्देश वीर की सन्ताने संभालें। प्रभु अहिंसा के विषय पर प्रस्तुति हो। उनको इसके लिए शक्ति दें। __ अहिंसा संघ, इन्टरनेट पर जानकारी परक वेब साइट, भारत सरकार गाँधीवादी, संस्थायें, जैन समाज, अहिंसा उत्तर प्रत्युत्तर व्यवस्था करे तो बहुत अच्छा होगा। अहिंसा के प्रिय प्रज्ञावान लोग इस जिम्मेवारी में अग्रसर का रोल अदा करें, वस्तु विषय पर सामग्री हिन्दी और भारतीय भाषाओं से भी अहिंसा के विभिन्न पहलुओं पर लेख, चर्चायें, संवाद, नाटक, अधिक अंग्रेजी, चाइनीज, फ्रेन्च, स्पेनीश, कोरियन, जापानी, वाद-विवाद, नजरिया, टी०वी० कार्यक्रम 2 अक्टूबर से पहले उर्दू, अरबिक, हिबु आदि सभी देशों की स्थानीय भाषाओं में संकलित हो ताकि मीडिया चाहे अखबार, पत्र, पत्रिकाएं, रेडियो, आवश्यकता है। यह काम गिनाना आसान है, करना-करवाना, टी०वी० हो अहिंसा के बारे में प्रचुर युक्ति संगत दिल-दिमाग दुसाध्य एवं अति सघन साधनों के बिना नहीं होने वाला है। को छूने वाली सामग्री उपलब्ध रहे। एकमात्र ऐसा प्रयास अहिंसा लेकिन अहिंसा के समर्पित लोग अगर सब मिलकर थोड़ा-थोड़ा दिवस की सार्थकता सिद्ध कर सकते हैं पूरी दुनियाँ में। बोझ भी संभालें तो यह चमत्कारी काम कोई कठिन नहीं। मीडिया चाहे टी०वी०, रेडियो, पत्र-पत्रिकाओं में भी आइये, आगे आयें, अहिंसा के बढ़ावे के लिए वातावरण बनावें, चाहिये 2 अक्टूबर के दिन कार्यक्रमों में पठनीय सामग्री में विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की इस पहल का स्वागत, सहकार अहिंसा को मुख्य थीम बनावें। पुरा होम वर्क, फील्ड वर्क, डेस्क करें। अहिंसा की विचारधारा विश्व में सशक्त बने. हिंसा का वर्क, चिन्तन, लाइब्रेरी वर्क, सम्पर्क, खोज, शोध पूरा-पूरा करें, निवारण हो, मानव-मानव से भयमुक्त हो, हर एक के जीवन को शक्ति, दूरदर्शिता से करें। आज अगर मीडिया इन पहलुओं को खुशहाल बनाने के लिए अहिंसा एक माध्यम बने। अहिंसा प्रिय शक्ति के साथ उजागर करता है, तो जनमानस बदलेगा, दिल लोग, अहिंसा पुरोधा, प्रज्ञावान नागरिक अपनी जिम्मेवारी इस बदलेगा। दिल बदलेगा तो अहिंसा दिलों में जगह लेगी, हिंसा का संदर्भ में समझे और निभावे, गाँधी जयनती, अहिंसा की जननी निवारण होगा, शान्ति की स्थापना होगी। प्रज्ञावान, उच्चस्थ बने, अहिंसा हर एक की जीवन-यात्रा को प्रभावित ही न करे, अधिकारी, शासनाध्यक्ष, सेनापति एवं रक्षा विश्लेषक, सन्त सारी जीवनयात्रा ही हर एक नागरिक की अहिंसामय बन जाये। महात्मा, चिन्तक-लेखक सबके विचार अहिंसा के विषय पर यही अहिंसा दिवस मनाना होगा, यही अहिंसा को मानना होगा. मीडिया जन-जन को परोसे, अहिंसा के पक्ष में जनाधार बनावे। यही अहिंसा मानव को प्रलय की असुरक्षा से बचायेगी। अहिंसा प्रेम, अहिंसा, करुणा हर एक हृदय से झरे। हमारा भविष्य है, अहिंसा शान्ति और सुरक्षा की गारन्टी है। विश्व की हर एक राजनधानी में शासनाध्यक्ष अहिंसा दिवस पर राष्ट्रीय आयोजन करें। उससे हर एक नागरिक तक विचार प्रवाह होगा। उस दिन समस्त मीडिया अहिंसा के पक्षधरों को खंगाले। उनका सोच-विचार, दर्शन जन-जन तक पहुँचाये। यही एक तात्कालिक रास्ता है। अहिंसा के पक्षधरों एवं पुरोधों को चाहिये कि मीडिया संसार को इस बीड़े को उठाने के लिए प्रेरित करे, तैयार करे। उनसे इस प्रयास में सहकार करे। इस वर्ष के कार्यक्रमों की फिर समीक्षा करें और अगले वर्ष के कार्यक्रमों के लिए और उन्नत जमीन तैयार करें। अहिंसा दिवस पर कार्यक्रमों के साथ-साथ वर्षभर सन्देश प्रवाहित रहे इसके लिए अहिंसा प्रचार संघ बने, प्रचारकों, के प्रशिक्षण की व्यवस्था बने, विभिन्न अहिंसा प्रचार संस्थानों का समन्वय सुनिश्चित हो। अहिंसा के सन्देश के प्रतीकात्मक अहिंसा द्वार, शान्ति स्तूप, शान्ति स्तम्भ दुनिया के हर एक शहर के प्रमुख भाग में बनाये जायें। बच्चों में अहिंसा के प्रति रूझान 0 अष्टदशी /2060 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org