________________ 174 आ. शांतिसागरजी जन्मशताब्दि स्मृतिग्रंथ व्याख्या उपलब्ध एवं प्रकाशित हैं / इसका प्रकाशन सन् 1915 वी. नि. सं. 2441 में आकलूज निवासी सेठ श्री नाथारंगजी गांधी द्वारा एक बार हुआ था। अब वह संस्करण अप्राप्य है। दूसरा नया संस्करण आधुनिक सम्पादनादि के साथ प्रकाशनाई है। इसके रचयिता हम आरम्भ में ही निर्देश कर आये हैं कि इस महनीय कृति की रचना जिस महान् आचार्य ने की वे तार्किक शिरोमणि विद्यानन्द हैं। ये भारतीय दर्शन विशेषतः जैन दर्शनाकाश के दैदीप्यमान सूर्य हैं, जिन्हें सभी भारतीय दर्शनों का तलस्पर्शी अनुगम था, यह उनके उपलब्ध ग्रन्थों से स्पष्ट अवगत होता है / इनका अस्तित्व समय हमने ई. 775 से 840 ई. निर्धारित किया है / ' इनके और इनकी कृतियों के सम्बन्ध में विशेष विचार अन्यत्र किया गया है / 1. आप्त प., प्रस्ता., पृ. 53, वीर सेवामन्दिर, दरियागंज, दिल्ली-६ / 2. वही, प्रस्ता०, पृ. 9-54 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org