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________________ स्व: मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ वर्तमान में किन्हीं महात्माओ को अवधिज्ञान हुआ है ऐसी बात सुनते हैं किन्तु यह मानने मे शीघ्रता नहीं करनी चाहिए। कितने वचन सिद्ध महात्माओं के वचन सत्य होते है किन्तु वचन सिद्धि और अवधिज्ञान को एक मानने की भूल नहीं होनी चाहिए / अवधिज्ञानी के ज्ञानो पयोग द्वारा कथित वचन अवश्य सत्य होते है किन्तु वचन सिद्धि हो तो यही अवधिज्ञान हो ही ऐसा नहीं मान लेना चाहिए। कितने ही महात्माओं की भविष्यवाणी आदि सत्य साबित होती है वह अनुमान व अनुभव जन्य होती है। अनुमान चित्त का व्यापार है। जो निर्मल हृदय तीव्र अवलोकन शक्ति तथा तर्क आदि के कारण सरस होती है और तदनुसार सत्य प्रतीत होती है। कितने ही व्यक्तियों की आंतर स्फुरणा के आधार पर कथित बातों को अवधिज्ञान मानने की भूल नहीं करना चाहिए। कितने ही व्यक्ति भूत, भविष्य, वर्तमान को घटित बातो को स्व कल्पना से वर्णन करें और घटना सत्य भी प्रभाणित हो जाय ये सब अवधिज्ञान नहीं अनुमान शक्ति, मनोवैज्ञानिक कल्पना व्यापार आदि मतिज्ञान के विषय है, अवधिज्ञान के नहीं। कितने ही महात्माओं को चमत्कार शक्ति को उनके शिष्यों द्वारा उभार कर अवधिज्ञान के प्रचार के भुलावे में नहीं पड़ना उचित है। अवधिज्ञान के स्वरूप की कसौटी पर कसे बिना मानने की शीघ्रता न करना उचित है। तत्वज्ञ श्रद्धालु को किसीका भी अनादर किये बिना यथा तथ्य प्राप्त करना चाहिए। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210127
Book TitleAvadhi Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherZ_Mohanlal_Banthiya_Smruti_Granth_012059.pdf
Publication Year1998
Total Pages14
LanguageHindi
ClassificationArticle & Samyag Darshan
File Size791 KB
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