________________ तामरस (श्लो० 60,72), नलिन (श्लो० 117), राजीव (श्लो० 123), शतदल (श्लो० 117) और पंकज (श्लो० 132) शब्दोंका प्रयोग आया है। कमलकी डण्डीके लिए नलिनीनाल (श्लो० 104) और उसके पत्तोंके लिए नलिनीदल (श्लो० 134) शब्द व्यवहृत हुए हैं। नीलकमल (इन्दीवर)के बन्दनवार सजानेकी चर्चा श्लोक 45 में आई है। मल्लिका ग्रीष्म ऋतुमें फूलती (श्लो० 31) और उसके फूल केशपाश शजानेमें काम आते थे (श्लो० 121) / प्रसंगवश कुन्द, जाति (श्लो० 45), आमकी मंजरी (श्लो० 78) अनारके फल (श्लो० 16), कल्हार, सप्तच्छद (श्लो० 122), कन्दल (श्लो० 126) और केले (कदल)के काण्ड (श्लो० 137) का उल्लेख हुआ है। 206 : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन-ग्रन्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org