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________________ अपभ्रंश साहित्य में राम-कथा ४६६ ................ ..................................... .. . ... . .... बनाता है। सिंहनाद के छल से सीता के अपहरण में सफल होता है। खर दूषण को मारने के बाद जब राम लक्ष्मण वापस लौटते हैं तो सीता को न पाकर भौचक्के रह जाते हैं। उन्हें मरणासन्न जटायु मिलता है। णमोकार मन्त्र सुनाकर वे उसकी मिट्टी ठिकाने लगाते हैं । सीता के वियोग में व्याकुल राम को जैन मुनि समझाते हैं, परन्तु उन पर कोई असर नहीं होता। राम की विराधित से भेंट होती है, जो उनका परिचय सुग्रीव से कराता है। राम सुग्रीव की सहायता करते हैं। वदले में वह सीता की खोज करता है। भामंडल के अनुचर रत्नकेशी से उसे सीता का पता चलता है। राम हनुमान की सहायता प्राप्त करते हैं। हनुमान लंका जाते हैं, जहाँ कई राक्षसों से भिड़त और लंकासुन्दरी से प्रणय के बाद वे विभीषण से मिलते हैं । जिस समय वह सीता के दर्शन करते हैं, उस समय वह मंदोदरी को जबाब दे रही थी। लोक मर्यादा और स्वाभिमान के कारण वह हनुमान के साथ नहीं जाती। रावण को फटकारने और उद्यान को उजाड़ने के बाद हनुमान वापस आकर सारा वृत्तान्त राम को सुनाते हैं। राम उन्हें पुनः दूत बनाकर भेजते हैं । अन्त में वे लंका पर चढ़ाई करते हैं । रावण मारा जाता है। उसका दाह-संस्कार कर, तथा शोकाकुल परिवार को समझाकर वे विभीषण को राजपाट देते हैं। अयोध्या वापस आने पर भरत जिनदीक्षा ग्रहण करता है । लोकापवाद के कारण राजा राम सीता का निर्वासन कर देते हैं। वज्रजंघ के आश्रय में सीता लव और कुश को जन्म देती है । दिग्विजय के सन्दर्भ में उनका राम लक्ष्मण से युद्ध होता है। पहचान होने पर राम उन्हें गले लगाते हैं। अग्नि परीक्षा के बाद राम के साथ रहने के बजाय सीता भागवती दीक्षा ग्रहण कर अन्त में मरकर १६वें स्वर्ग में जन्म लेती है। लक्ष्मण के निधन से संतप्त राम भी दीक्षा ले कर मोक्ष प्राप्त करते हैं। ___ जहाँ तक पुष्पदंत की राम-कथा का सम्बन्ध है, वह उनके महापुराण का अंग है। उनकी राम-कथा, राम, लक्ष्मण, सीता के पूर्वभवों से प्रारम्भ होती है। पूर्वजन्म में रत्नपुर के राजा प्रजापति का पुत्र चन्द्रचूल श्रीदत्त की पत्नी का अपहरण करता है। आगे वही राम के रूप में जन्म लेता है। पुष्पदंत के अनुसार राम के जन्म के समय दशरथ काशी के राजा थे। किसी असुरराजा के द्वारा अयोध्या छीन लिए जाने पर दशरथ को काशी आगा पड़ा। सुबला से राम का और कैकेयी से लक्ष्मण का जन्म होता है। दूसरी दो रानियों से भरत और शत्रुघ्न जन्म लेते हैं। पशुयज्ञ के सिलसिले में राम और लक्ष्मण जनकपुरी जाते हैं। यज्ञ की रक्षा के फलस्वरूप जनक सीता का विवाह राम से कर देते हैं, इसके अलावा उन्हें सात कन्याएँ और प्राप्त होती हैं। सीता वस्तुत: जनक की असली कन्या नहीं है। वह रावण की कन्या है, अनिष्ट की आशंका से उसे विदेह में गड़वा दिया जाता है, जो एक किसान के माध्यम से जनक को प्राप्त होती है । अयोध्या लौटने पर, राम पिता की अनुमति प्राप्त 'काशीराज्य' पर कब्जा करने जाते हैं । लक्ष्मण, सीता उनके साथ हैं । काशी की जनता उनका पुरजोर स्वागत करती है। हाथी के उद्यान में जब राम और सीता बसंत क्रीड़ा कर रहे थे, तब नारद से प्रेरित होकर रावण सीता को पाने के लिए वहाँ पहुँचता है। पहले वह विद्याधरी चन्द्रनखा को फुसलाने के लिए भेजता है। जब विद्याधरी असफल लौटती है, तो रावण मारीच को स्वर्णमृग बनाकर उसके छल से सीता का अपहरण कर लेता है । लाख प्रतिरोधों के बावजूद, वह उन्हें लंका ले आता है। सीता खानापीना छोड़ देती है। सीता के अपहरण से राम दुखी हैं । स्वप्न देखकर सीता के अपहरण की बात दशरथ को मालूम हो जाती है, वे भरत और शत्रुघ्न को सहायता के लिए भेजते हैं । जनक भी आ जाते हैं । सुग्रीव भी सशर्त सहायता के लिए आता है। हनुमान भी वचन देता है। वह सीता की खोज में जाता है। पहचान की अंगूठी दिखाकर, सीता को सारा हाल बताता है। हनुमान को दुबारा दौत्य के लिए रावण के पास भेजा जाता है। अन्त में युद्ध होता है जिसमें रावण मारा जाता है। उसका दाह-संस्कार और विभीषण को सांत्वना देकर राम सीता को लेकर वापस आ जाते हैं। राम की आठ और लक्ष्मण को सोलह हजार रानियाँ थीं । अन्त में सीता जिनदीक्षा लेती है। दोनों कथाओं की तुलना से स्पष्ट है, समान स्रोत होते हुए-उनमें पर्याप्त और मूलभूत भिन्नता है। स्रोत की बात फिलहाल छोड़ दें, तो स्वयंभू की रामकथा की परम्परा स्पष्ट और प्रसिद्ध है। राम के जीवन को संघर्षमय और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210084
Book TitleApbhramsa Sahitya me Ramkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Kumar Jain
PublisherZ_Kesarimalji_Surana_Abhinandan_Granth_012044.pdf
Publication Year1982
Total Pages5
LanguageHindi
ClassificationArticle & Story
File Size691 KB
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