________________ गुरु भगवंत या वडिल संवच्छरी तप कहें - अट्ठमेणं - तीन उपवास, छः आयंबिल, नव नीवी, बारह एकासणां, चौबीस बीयासणां, छः हजार सज्झाय (6000 Gatha to recite) या साठ नवकारवाली और यथाशक्ति तप करके पहुंचाना कहें. * तप किया हो तो पट्ओि कहें, * करना हो तो तहत्ति कहें * एवं न कर सकें तो यथाशक्ति कहें या मौन रहें. Note - The Samvatsari Tapa is 3 Upavas = 6 Ayambil = 9 Nivi = 12 Ekasana = 24 Biyasana = 6000 Gatha to recite = 60 x 108 Namaskar Sutra Nivi = Similar to Ayambil but allowed to eat 6Vigais (milk, yogurt, Ghee, oil, Sweets, Brown-sugar) after being heated, which reduces Vikar. In Ekasana, one can eat all 6 Vigais Michchhami Dukkadam to Sakal Sangh Vidhi फिर दो बार वांदना देकर, इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पत्तेअ खामणेणं अब्भुठिओमि अभिंतर संवच्छरीअं खामेउं? इच्छं खामेमि संवच्छरीअं, एक संवच्छरस्स, बारस मासाणं, चउवीस-पक्खाणं, ती सय सट्ठीराइ-दिवसाणं; जं किंचि... (सूत्र नं.36) कहकर, मिच्चामि दुक्कडम - सकल संघ (First Guru then Sangh) Samvatsari Sutra by Monk फिर से दो बार वांदना दें. फिर संवच्छरीअ आलोइअ पडिक्कंता इच्छाकारेण संदिसह भगवन् संवच्छरीअं पडिक्कमामि?, सम्म पडिक्कमामि कहें. फिर करेमि भंते और इच्छामि पडिक्कमिउं? सूत्र कहें. फिर खमासमण. फिर इच्छाकारेण संदिसह भगवन् संवच्छरी-सूत्र कहुं? इच्छं. * फिर तीन नवकार, मुनि भगवंत संवच्छरी सूत्र कहें. फिर सुअ-देवया की स्तुति कहें. (मुनि भगवंत न हों तो गृहस्थ संवच्छरी सूत्र के बदले वंदित्तु सूत्र कहें. अन्य सभी संवच्छरी / वंदित्तु सूत्र को काउस्सग मुद्रा में श्रवण करें.) In the absence of Monk - optional Vandittu sutra (2nd Vandittu) recited by Shravak. In this Samvatsari Sutra or in optional Vandittu sutra - All Shravaks and Shravikas need to remain in Kaussaga posture either in Standing or in Sitting position. Vandittu sutra (2nd or 3rd) by Shravak * फिर नवकार, करेमि भंते, इच्छामि पडिक्कमिउं? एवं वंदितु सूत्र कहें.