________________ परन्तु कोई व्यक्ति, जहाँ तक उसका अपना सम्बन्ध है वहाँ तक, स्वयं अपना बलिदान देने जैसी अपनी अहिंसावृत्ति को यदि जागरित कर तो उस पर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं है, जैसे कि भगवान् श्री शान्तिनाथ ने अपने पूर्वभव में शरणागत कबूतर को तथा राजा दिलीप ने गाय को बचाने के लिये अपने शरीर का बलिदान देने की तत्परता दिखलाई थी। परन्तु निरर्थक हिंसा के समय फूल की एक पत्ती को भी दुःखित करने जितनी भी हिंसा की जैन धर्म में मनाही है। वनस्पति जीवों के दो भेद हैं-प्रत्येक और साधारण। एक शरीर में एक जीव हो वह प्रत्येक' और एक शरीर में अनन्त जीव हों वह साधारण' वनस्पति है। कन्दमूल आदि साधारण' [स्थूल साधारण'] हैं। इन्हें अनन्तकाय भी कहते हैं। 'साधारण' की अपेक्षा प्रत्येक' की चैतन्यमात्रा अत्यधिक विकसित है। 1 सूक्ष्म साधारण' जीवों और सूक्ष्म पृथ्वी-जल-तेज-वायु के जीवों से सम्पूर्ण लोकाकाश ठूस लूंसकर भरा है। ये परम सूक्ष्म जीव संघर्ष-व्यवहार में बिलकुल नहीं आते। साधारण' को निगोद' भी कहते है। अतः सूक्ष्म साधारण' को सूक्ष्म निगोद और स्थूल साधारण' को स्थूल निगोद (बादर निगोद) कहते हैं।