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________________ हे आत्मन तू अपने आप को मत सता तू तो ज्ञानमय ईश्वर सम परम पवत्र है और सब विवादों से परे है अपने महान आश्चर्य को देखो और उसकी रक्षा करो अपने पर दया करो और और अपने आप को क्षमा करो अपने आप में क्षमा आयगी तो उतम क्षमा बनेगी. मैं दुसरे जीवों के कुसूर को बिलकुल माफ़ केर देता होऊं ये द्रस्ती अपने आप में हो, ये विशवास अपने आप में हो तो वह मिथ्यात्व है जेसे लोग कहते है "मैंने क्षमा कर दिया अरे वह क्षमा नहीं है उत्तम क्षमा हो तो अपने को क्षमा की मति बना देती है अपने आपकी दिया में सबकी दया आ जायगी जो अपने आप को सहज स्वरूप के दर्शन में लगने की लिया लालायित है उसके लिए दुसरे की अपराधो में लगने से क्या ? वह दुसरे के अपराधों को दिल में रखेगा क्या ? दुसरे की क्षमा सहज बन जाएगी
SR No.151001
Book TitleForgiveness
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPradeep Kumar
PublisherPradeep Kumar
Publication Year
Total Pages16
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationPresentation, Presentation, A000, & A010
File Size2 MB
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