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________________ - यह स्नान पाँच से तीस मिनट तक वा इससे भी अधिक देर तक किया जा सकता है। इस स्नान का प्रभाव शोघ्र पड़ता है। वादी के योगी को तो शीघ्र हवा खुलने लगती है, और डकार आने लगती है। दस्त साफ होने लगती है नींद न आनेवालों को नींद आने लगती है। अधिक सोने वालों के नींद में कमी आ जाती है और उनमें स्फूर्ति आ जाती है। बदहजमी से ही अतिसार तथा कोष्ठ-वद्ध के रोग होते हैं। इस बीमारी के लिए कूने का स्नान अति उत्तम है। पुरानी बवासीर इस स्नान से तथा खान-पान के परहेज से जाती रहती है। जो लोग अधिक थूकते हैं उनके लिए भी यह स्नान लाभदायक होता है । इस स्नान से कमजोर भी बलवान हो जाते हैं। बहुतेरों का गठिया तक अच्छा हो जाता है। सिर के दर्द में यदि यह स्नान किया जाय तो दर्द हल्का पड़ जाता है। इस स्नान से गर्भवती स्त्री की प्रसवकाल की पोड़ा कम हो जाती है। बालक, जवान, बुड्ढे, स्त्रीपुरुष सबके लिए यह स्नान लाभप्रद है। - एक और उपचार है जिसे “गीली चादर का उपचार" कहते हैं। इससे भी अनेक रोग दूर हो जाते हैं। एक मेज या कुर्सी को खुली हवा में रख दो। उस पर तीन-चार कम्बल बिछा दो। उन कम्बलों पर तीन चादरें ठंडे पानी में भिगा कर बिछा दो। इसके बाद रोगी को नंगे उस पर लेटा दो। रोगी का हाथ बगल में हो। इसके बाद एक एक करके सभी चादरें और कम्बलें रागो के बदन में लपेट कर उसे अच्छी तरह से ढक दो। यदि धूप हो तो रोगी के मुँह पर गीला कपड़ या रूमाल रख दो। लेकिन नाक खुली रहनी चाहिये। पहले तो रोगी काँप उठेगा, बाद में उसको गर्मी लग कर पसीना निकलेगा। यह उपचार पाँच मिनट तक करना चाहिये। फिर रोगी के बदन से कपड़े हटा कर ठंडे पानी से स्नान करा दो। बुखार, शीतला और चर्म राग इससे दूर
SR No.100004
Book TitleSwasthya Sadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherGandhi Granthagar Banaras
Publication Year1951
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size16 MB
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