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से निकलता है उसे दूर फेंकते न हिचकना चाहिये। हो सके तो उसे गडढा खोदकर ढँक देना चाहिये । खुले स्थान में तो स्वयं गड्ढा खोदकर उसे ढँकना चाहिये ।
हम बहुधा जहाँ-तहाँ पेशाब करके हवा को खराब कर देते हैं। इस बुरी आदत का परित्याग कर देना चाहिये । यदि इसके लिए उचित प्रबन्ध न हो सके तो हमें घर से दूर सूखी मिट्टी डाल देनी चाहिये
मल को अधिक गहराई में नहीं गाड़ना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से उस पर सूर्य की किरणं नहीं पहुँच पायेंगी और इसके अलावा वह जमीन के नीचे बहने वाले पानी को भी गन्दा कर देगा |
निवास स्थान या उसके इर्द-गिर्द थूकने की आदत भी बहुत खराब है। राजयक्ष्मा रोग से ग्रसित मनुष्य के थूक से जो कीड़े उत्पन्न होते हैं, वे बहुत ही भयानक होते हैं। विषैले कीड़े हवा. के द्वारा दूसरे मनुष्य के शरीर में चले जाते हैं और उसे भी रोगी बना देते हैं। थूकने के लिये घर में एक खास बर्तन रखना चाहिये। घर के बाहर सड़कों पर, सूखी जमीन पर थूकना चाहिये, ताकि कोई हानि न हो । डा० की राय है कि राजयक्ष्मा के रोगी को पीकदान में जहर डालकर थूकना चाहिये, क्योंकि यदि वह सूखी जमीन पर भी थूकता है तो कीड़े धूल के सहारे हवा में मिल जायेंगे । जहाँ-तहाँ थकने की आदत बहुत गन्दी और हानिकारक है ।
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अन्य सामग्री को
दूषित कर देती
अक्सर लोग सड़े खाद्य पदार्थ या ऐसे ही जहाँ चाहते हैं फेंक देते हैं जो सड़कर हवा को है । यदि ऐसी चीजें जमीन में गाड़ दी जायँ तो हवा दूषित होने से बच जाय और साथ ही जमीन को कुछ खाद भी प्राप्त हो जाय । वास्तव में कोई भी सड़ी गली चीज खुली हवा में न