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________________ भारत की खोज नहीं करना पड़ता। सिर्फ जीता है। सब मां करती है, सब मां से होता है। वह सिर्फ जीता है. वह सिर्फ जीता है। वहां कछ भी नहीं करना पड़ता। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि 'मोक्ष की जो कल्पना लोगों को पैदा हई वह मां के गर्भ की स्मृति से ही पैदा हुई वह जो हमारा अनकोनसीयस माइंड है उसको पता है कि एक सुख का क्षण था जो खो गया। एक ऐसा वक्त था कि जब ना कोई चिंता थी ना कोई दुःख था, ना कोई पीड़ा थी। वह हमारे अचेतन चित्त को पता है। वह किस कौने में हमें ज्ञात है। वह मां के पेट में वह जो सूख था जब बच्चे को मां के पेट के बाहर आना पड़ा होगा तो अगर वह प्रार्थना कर सका होगा। तो उसने हाथ जोड़ कर कहा होगा हे भगवान! कहां असुरक्षा में भेज रहे हो। कहां खतरे में भेज रहे हो । सव सुरक्षा छूटती है, जीवन की सब व्यवस्था छूटती है, सव इंतजाम था वह छूट ता है, कहां खतरे में भेजते हो। जन्म बहूत बड़ा खतरा है और खतरा शुरू हो जात है। शायद बच्चा पैदा होते से इसलिए रोता हो, चिल्लाता हो कि कहां मुसिबत में डाल दिया। हंसते हुए बच्चे की पैदा होने की कोई खबर नहीं सुनी गई। उसकी सुरक्षा छिन गई है। उसका सव छीन गया है वह अपप्रूटिड कर दिया गया है जैसे किसी वृक्ष को उस की जड़ों से उखाड़ लिया गया है। मां के भीतर उसकी जड़ें थी। वह मां का एक हि स्सा था। कोई चिंता ना थी, कोई एनजाइटी ना थी कोई समस्या ना थी सब समाधा न था। मां के पेट में वच्चा समाधि में था। वहां से निकालकर वाहर फेंक दिया गया फिर रोज-रोज असुरक्षा बढ़ती चली जाएगी। जब तक छोटा होगा मां की गोद होग । धीरे-धीरे मां की गोद भी छोड़ देनी पड़ेगी। स्कूल आएगा, और खतरे आने शुरू होंगे। और फिर स्कूल के बाद जिंदगी आएगी। और समस्याएं आनी शुरू होंगी, मां से दूर होता चला जाएगा। और खतरों में उतरता चला जाएगा। जिंदगी का नाम खतरा है। मौत भी खतरा नहीं है जन्म के बाद सभी कुछ खतरा है | लेकिन इस खतरे से हमने एक मानसिक बचाव का उपाय कर लिया है कि वचा लो अपने को। तिजोरियां खड़ी करते हैं, महल खड़े करते हैं, पद प्रतिष्ठा बनाते हैं, मित्र संगी-साथी बनाते हैं। शिष्य चेले बनाते हैं। वेटा, बाप बेटे को खड़ा करता है ि बना बेटे के असुरक्षा अनुभव करता है। परिवार बनाता है। सारा इंतजाम करता है | कस बात के लिए। सिर्फ एक बात के लिए कि जिंदगी में कोई खतरा, कोई असुरक्ष [, कोई समस्या ना हो। सव तरह से सुरक्षित हो जाऊं। वह जो मां का गर्भ था वह मिल जाए फिर वैसे ही हो जाए सब, वह कभी नहीं हो पाता। वह हो ही नहीं पा एगा। वह सिर्फ कव्र में होगा। वह सिर्फ मरने पर होगा। मृत्यु वहीं पर पहुंचा देगी जहां पर जन्म ने आपको हटाया था। इसलिए मरने की क मिना भी पैदा होती है। मरने की कामना भी हमारे भीतर इसीलिए पैदा होती है। य ह बहुत समझने की बात है मरने से बचने की कामना भी सुरक्षा के लिए पैदा होती है। और मरने की कामना भी सुरक्षा के लिए पैदा होती है। जब आदमी वहुत असू रक्षित हो जाता है। जिससे प्रेम करता है वह भटक जाता है, खो जाता है, जिसे चा Page 57 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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