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________________ भारत की खोज ना जीवन का कोई भरोसा है। सांस चल रही है, एक क्षण बाद नहीं चले। ऐसा क्षण आएगा ही कि एक क्षण वाद नहीं चलेगी। क्या सरक्षा है. मित्र का कोई भरोसा है जो मित्र है वह कल मित्र ना रह जाए। शत्रु का तक भरोसा नहीं है जो शत्रु है क ल शत्रु ना रह जाए। शत्रु का ही जहां भरोसा नहीं, मित्र का जहां भरोसा नहीं, जह किसी चीज का भरोसा नहीं है वहां हम एक इलयजरी सिक्योरिटी बनाकर एक क ल्पनिक सुरक्षा का जाल बनाकर उसके भीतर वैठकर मर जाते हैं। नहीं जीवन असुरक्षा है। जीवन ही इनसिक्योरिटी है, जीवन है ही ऐसा। जीवन के इ स तथ्य को यह जीवन की जो सचनैस है कि जीवन ऐसा है। कि यहां जन्म है, यहां मृत्यु है यहां स्वास्थ्य है, यहां बीमारी है यहां मिलना है, यहां बिछड़ना है। यहां दोस् ती है, यहां दृश्मनी, यहां सांस आएगी और जाएगी भी। और जाना भी उतना ही सू खद है जितना आना। और जन्म भी उतना ही आनंद है जितनी मृत्य। लेकिन सिर्फ उसके लिए, जिसने सुरक्षा का पागल मोह नहीं पकड़ लिया। सूकरात मर रहा था। जहर देने के पहले उसके मित्रों ने सूकरात को पूछा, 'कि हम ने पता लगाया है कि जिन लोगों ने तुम्हें मृत्यु की सजा दी है। वह कहते हैं अगर तुम सत्य के संबंध में बोलना बंद कर दो, तो तुम्हे क्षमा किया जा सकता है तुम ब च सकते हो।' सुकरात ने कहा, 'क्या वे यह कहते हैं कि फिर मैं सदा वच सकूँगा। अगर वह ऐसा कहते हों तो मैं सोचूं।' मित्रों ने कहा, 'सदा बचने का भरोसा कोई भी नहीं दे सकता। तो सुकरात ने कहा, 'जब मरना ही है तो फिर मरने से सुरक्ष [ के लिए असत्य बोलना समझ में नहीं आता। फिर मरना ही है तो फिर सत्य बोल ते ही मरना अच्छा है।' फिर जहर पीसा जाने लगा। वाहर जहर पीसा जा रहा है, और सुकरात वार-बार पू छने लगा अपने मित्रों से कि, 'देखो! वड़ी देर हुई जाती है, जहर पीसने वाला वहुत देर लगा रहा है।' मित्र रो रहे हैं और वह कहने लगे कि, 'तुम पागल हो गए हो। जितनी देर हो जाए, उतना अच्छा तुम जितनी देर और जी लो उतना अच्छा। इत नी उत्सुकता क्या है मरने की? सुकरात कहने लगा, मृत्यु नई है, अपरिचित है उ से जानने का मन होता है। उसे कभी जाना नहीं, वह विलकुल नया है, वह मृत्यु कैसी है? वह मृत्यु का लोक कैसा है? हम बसते हैं कि नहीं बसते हैं मैं उसे जानने के लिए आतुर हूं। मैं नए को जानने के लिए आतुर हूं। जीवन तो जाना जा चुका, वह पुराना पड़ चुका। सुकरात जैसे लोगों को मारा नहीं जा सकता। क्योंकि उन्हें मृ त्यु भी. . . नई है, और जीवन का एक हिस्सा है। जो जानता है वह जन्म और मृत्यु को समान ही मानेगा। जन्म भी अगर हम बहुत खयाल से देखें तो एक खतरा है। हमें पता नहीं है यह दूसरी बात है। जो वच्चा मां के पेट में है वह बहुत सुरक्षित है, आपको पता है, उससे ज्यादा सुरक्षा सिर्फ कव्र में ही मिलेगी, और कहीं भी नहीं मिलेगी। मां के पेट में जो बच्चा है ना नौकरी क रनी पड़ती है, ना दूकान करनी पड़ती है, ना जिंदगी के खतरे हैं, ना खाने की चिंत | है, ना पीने की चिंता है। मां के पेट में वह करीव-करीव मोक्ष में है। वहां कुछ भी Page 56 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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