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________________ भारत की खोज एक आदमी मर गया एक तारीख को महीने की तो दो तारीख नहीं आएगी तीन ता रीख नहीं आएगी अव कुछ नहीं आएगा। एक तारीख पर सव ठहर गया उस आदमी के लिए, अब नया नहीं होगा। अव जो हो गया वह हो गया। अब सिर्फ इतिहास ह गा. भविष्य नहीं होगा। मरे हए आदमी का सिर्फ अतीत होता है भविष्य नहीं होता । भविष्य खतरनाक है लेकिन जीवन भी एक खतरा है। जीवन भी एक असरक्षा है। जो लोग जीवन को प्रेम करते हैं वह असुरक्षा को भी प्रेम करते हैं। जीवन का प्रेम अनिवार्य रूप से खतरे का प्रेम है। जो लोग जीवन को प्रेम नहीं करते सोसाइडल हैं , आत्मघाती हैं वे सुरक्षा को प्रेम करते हैं। वह सब तरह का इंतजाम कर लेते हैं। मैंने सुना है एक सम्राट ने एक मकान बनाया, एक महल, और सब तरह का इंतजा म किया कि कोई खतरा ना हो। तो डर के कारण उसने सिर्फ एक दरवाजा रखा उ स महल में, दूसरे दरवाजे खिड़कियां रखना खतरनाक है, रात को दुश्मन घुस जाए, चोर घुस जाए, डाक घुस जाए, फिर बहुत दरवाजे हों तो बहुत पहरेदार रखने पड़ें गे। फिर बहुत पहरेदार हों तो बहुत पहरेदार रखने पड़ेंगे, फिर वहुत पहरेदार हों तो पहरेदारों से भी डर हो सकता है। इसलिए एक दरवाजा रखा। और अपने ही आद मी रखे और अपने आदमियों पर भी और अपने आदमी रखे। एक हजार पहलेदार र खे, एक के ऊपर एक पहरेदार, एक के ऊपर एक पहरे दार, खतरे का कोई ऊपाय नहीं कोई खतरा नहीं हो सकता। एक दरवाजा है, एक खिड़की नहीं, दूसरा दरवाजा नहीं। सारा महल वंद सिर्फ एक दरवाजा है भीतर बाहर जाने का। पड़ोस का राजा उसका महल देखने आया। और बहुत प्रसंन हुआ उसने कहा, 'ऐसा महल में भी बना लूंगा, यह तो बिलकुल सुरक्षि त है। जब पड़ोस का राजा प्रशंसा करके द्वार से निकल रहा था, और महल का मा लक खुश हो रहा था कि मैंने एक अदभुत महल बना लिया, तो सड़क के किनारे बै ठा हुआ एक बूढ़ा भिखारी जोर से हंसने लगा। उस महल के मालिक ने पूछा, 'क्यों हंसता है, क्या हो गया है कोई भूल रह गई। उस भिखारी ने कहा, 'मालिक! आपने पूछा है, तो बता दूं। जब से यह महल बन रहा है तभी से मैं देख रहा हूं, एक भूल रह गई है।' सम्राट ने कहा, 'कौन-सी भूल , हम उसे ठीक कर लें। उस भिखारी ने कहा, 'इसमें एक दरवाजा भी नहीं होना चाहिए। आप भीतर हो जाईए, और दरवाजा बंद करवा लिजिए। आप बिलकुल सूरी क्षत हो जाएंगे, यह एक दरवाजा खतरनाक है इससे मौत भीतर घुस सकती है। उ स राजा ने कहा, 'पागल, अगर इसको भी मैंने बंद कर लिया तो मैं मरने के पहले ही मर जाऊंगा।' उस भिखारी ने कहा, 'तो फिर ठीक से सुन लें, जितने दरवाजे आपने बंद किए उस अंश में आप मरते चले गए। थोड़े से जिंदा हैं एक दरवाजे की वजह से। यह भी वंद कर लें तो बिलकुल मर जाएंगे। मेरा भी महल था लेकिन मैंने पाया कि महल में जिंदा रहना पूरा नहीं हो सकता क्योंकि पहरा है। और जहां पहरा है वहां जिंदगी पूरी कैसे हो सकती है। दीवारें हैं, और मैंने पाया कि जितने ज्यादा दरवाजे हों जिं Page 54 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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