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________________ भारत की खोज मैं एक सभा में बोल रहा था । एक सज्जन खड़े हुए थे और उन्होंने मुझसे कहा कि, 'आपसे मुझे एक बात पूछनी है कि उम्र महावीर की बड़ी थी कि बुद्ध की बड़ी । मैं तीन साल से शोध कर रहा हूं। मैंने कहा कि, 'मुझे पता नहीं, और कोई जरूरत भी नहीं, कि बुद्ध की उम्र बड़ी थी कि महावीर की बड़ी थी । एक बात तय है कि तुम्हारी तीन साल की उम्र खराब हो गई।' वह कुछ भी कोई बड़ा रहा हो उससे कु छ लेना देना नहीं है। लेकिन नहीं, इसमें भी अगर महावीर को उम्र में बड़ा सिद्ध कया जा सके तो जैसे वह बड़े हो जाएंगे बुद्ध से या बुद्ध को बड़ा सिद्ध किया जा सके तो वह बड़े हो जाएंगे, वह ज्यादा पुराने हो जाएंगे । यह पुराने का मोह, यह पुराने का मोह अकारण नहीं है । इसके पीछे कारण है वह कारण हमारी समझ में आ जाएं तो हम भारत की प्रतिभा को नए के लिए मुक्त क र सकते हैं। वह कारण समझने चाहिए। पहली बात, पुराना सुरक्षित है सिक्योरिटी है उसमें, वह जाना माना है, वह परिचित है, उसे हम भलीभांति जानते हैं। वह शा स्त्र में रेखाबद्ध लिखा हुआ वह लीक पीटी हुई है । उस पर जाने में डर नहीं है नया हमेशा खतरनाक है, डेंजरस है। पता नहीं क्या हो । लीकबद्ध नहीं है, रेखाबद्ध नहीं है, कोई नक्शा नहीं है, अनचार्टिड है तो नए में डर मालूम पड़ता है। असुरक्षा मा लूम पड़ती है, कहीं ऐसा ना हो कि पुराने को छोड़ दें, और नया भटका दें, इसलिए पुराने को पकड़े रहो। नए पर मत जाओ । जो कौम जितनी भयभीत होती है उतना पुराने का आदर करती है। पुराने के आदर के पीछे फियर है, भय काम करता है। जो कौम जितनी निर्भय होती है उसमें नए की खोज करती है। नए का एडवेंचर है, नए का साहस । जो नहीं जाना है उसे जा न ले, निश्चित ही उसमें खतरे हैं। क्योंकि हो सकता है कि नया रास्ता गड्डों में ले जाएं, पहाड़ों में ले जाएं, खतरों में ले जाएं, ऐसी जगह ले जाए जहां जिंदगी मुश्कि ल में पड़ जाएं, नया खतरे में ले जा सकता है। पुराना पहचाना हुआ है उसी रास्ते से हजारों बार हम गुजरे हैं, हजारों लोग गुजरे हैं, उस रास्ते पर हजारों लोगों के चरण चिन्ह हैं वह पहचाना परिचित है उस पर चलने में सुविधा है, सुरक्षा है। लेकिन ज्ञात होना चाहिए जितना जीवन सुरक्षित हो जाता है उतना ही मर जाता है । जितनी असुरक्षा को वरन करने की हिम्मत हो जीवन उतना ही लिविंग और जीवं तत होता है। क्यों? सच तो यह है कि जीवन स्वयं एक असुरक्षा है। जो मर गए हैं वह ही सुरक्षित हैं अब उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ा जा सकता। इसलिए कब्र से ज् यादा सुरक्षित कोई स्थान नहीं है । कोई बीमा कम्पनी इतनी सुरक्षा नहीं दे सकती जतना मरघट देता है। क्योंकि उसके बाद कुछ भी नहीं बिगड़ सकता । पहली तो बात यह कि मरने के बाद फिर आप मर नहीं सकते। मर गए और म र गए, अब खत्म, वह बात खत्म हो गई, अब मरने का कोई डर नहीं। मरने के ब ाद बीमार नहीं पड़ सकते। मरने के बाद पाप नहीं कर सकते, अपराध नहीं कर स कते, मरने के बाद कुछ भी नहीं हो सकता, नया कुछ भी नहीं होगा। मरने का मत लब है कि नए का होना बंद हो गया, अब जो हो गया सब चीजें वहीं ठहर जाएंगी। Page 53 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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