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________________ भारत की खोज लोग हैं जो उससे भी पीछे हैं। वह पद यात्रा करते हैं, वह कहते हैं बैलगाड़ी, बैल गाड़ी भी खतरनाक हैं पैदल ही चलना चाहिए। सारी दुनिया धीरे-धीरे आटोमेटिक यंत्रों पर चली जा रही है। सारी दुनिया धीरे-धीरे सारे यंत्रों को स्वचालित बना लेगी। आदमी को उन्हें चलाने की भी जरूरत न रह जाए। लेकिन हमारे समझदार लोग कहते हैं कि हमें चर्खा और तकली पर निर्भर र हना चाहिए। हमारे ...खद को यह बातें अपील भी करती हैं. यह बातें हमारे स मझ में भी आती हैं क्यों? इसलिए नहीं यह बातें ठीक हैं बल्कि इसलिए हमारी प्रति भा विकसित नहीं हो पाई है इसलिए अविकसित वातें हमारी समझ में आती हैं, वि कसित वातें हमारी समझ में नहीं आती हैं। जब भी हमें कोई बैलगाड़ी की दुनिया की बातें कहे तो हमें अपील करता हैं। क्यों क हमारी बुद्धि वहीं तक विकसित हो पाई है और जब हमसे कोई आगे की दुनिया की बातें कहे तो हमें बहुत घबराहट होती हैं। क्योंकि उस अनजान दुनिया में हम असुरक्षित पाते हैं अपने को वहां हमारी सुरक्षा नहीं मालूम होती। हमें डर लगता है हमें भय लगता हैं क्योंकि हम कुछ भी नहीं जानते उस दुनिया के बारे में, लेकिन भयभीत रह कर हम जी नहीं सकेंगे और अव आने वाले जगत में या तो हमें अपनी समस्याएं हल करनी पड़ेंगी या हमारी समस्याएं हमारी हत्या कर देंगी। उन्होंने करीव करीब हमें मार डाला है हमारी समस्याओं ने हमें करीब-करीब मार डाला है और इसलिए इस मुल्क में कोई आदमी प्रसन्न दिखाई पड़ता है, न कोई अ दिमी आनंदित दिखाई पड़ता है, न जिंदगी में हम जिसको जीवन का रस कहें की क ई आदमी जीने का रस भोग रहा है कि उसके पैर में कोई गर्मी है, कि उसके हृद य में कोई उतास है, की उसके प्राणों में कोई गीत है ऐसा कुछ भी नहीं दिखाई पड़ ता। हर आदमी उदास और वोझ से भरा हुआ है हर आदमी ऐसा दवा हुआ है कि न मालूम कितने पहाड़ उसके सिर पर रखे हुए हैं। हर आदमी ऐसे चल रहा हैं की कव गिर पड़े तो गिरते ही सुख मालूम हो कब खत्म हो जाए तो अच्छा है। हर आ दमी के भीतर यह बहाव चलता है कि कब खत्म हो जाऊं, कब आवागमन से छुट कारा हो जाए, कव जीवन से छुट्टी मिल जाए। मैं भावनगर में था एक चौदह साल की लड़की ने मुझसे आकर कहा की आप मुझे आवागमन से छुटकारे का रास्ता बताइए। चौदह साल की लड़की, वह पूछती है की जीवन में न आऊं ऐसा कोई रास्ता बताइए। अभी चौदह साल की लड़की को पूछन । चहिए की जीवन का रास्ता बताइए कि जीवन में कैसे जाऊं। जीवन को कैसे जीयू , जीवन का आनंद, जीवन का रस कैसे पाऊं। चौदह साल की लड़की जीवन के द्वार पर खड़ी होकर पूछती है कि जीवन से कैसे बचू, मरूं कैसे, मरने का रास्ता बताइ वह जो लोग पूछते हैं मोक्ष का रास्ता वताइए, मोक्ष अच्छा शब्द है, सिर्फ। मोक्ष अच छा शब्द है सिर्फ वह मरने का रास्ता पूछ रहे हैं और ऐसे मरने का रास्ता पूछ रहे की अल्टीमेट डैथ फिर न जाना पड़े, फिर न लौटना पड़ें आखरी मरना हो जाए। सौ Page 16 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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