SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारत की खोज साइडल हैं वह लोग आत्मघाती है वह लोग जीवन के रास्ते से परमात्मा तक पहंचा जा सकता है, मरने के रास्ते से नहीं। अगर परमात्मा कहीं भी मिलेगा तो जीवन की गहराईयों में। लेकिन हम जीवन से भागे हओं से पछ रहे हैं कि मरे कैसे? कोई मरने का सुगम रास्ता बताइए ऐसा कुछ रास्ता बताइए की जीते-जी अधमरे हो जा एं। पहली बात- उसका नाम संन्यास रख छोड़ा है हमने जीते जी आधा मरा हुआ आ दमी हो उसको हम संन्यासी कहते है। अगर वह जरा जीवन का रुख दिखाए तो गड़ बड़ हो गया है, भ्रष्ट हो गया है। जीवन के प्रति वह विलकुल ही दृष्टता का व्यवहा र करें, जीवन के सब रस द्वार बंद कर दे, जीवन का सारा आनंद सब तरफ से रो कले, जीवन के संगीत की कहीं से कोई कड़ी सुनाई न पड़ने दे, सब तरफ से बहर , अंधा, लुला, लंगड़ा हो जाए। फिर हम उसको आदर देंगे की यह आदमी अच्छा आदमी है। मरा हुआ आदमी अच्छा आदमी है, इसलिए तो जब आदमी कोई मर ज |ता है तो हम कहते हैं वहुत अच्छा आदमी था, जिसने हमें जिंदगी में कभी नहीं क हा की अच्छा आदमी था, मरने पर सारा मुल्क कहता है बहुत अच्छा आदमी था। असल में हम मरे हुए को ही आदर देते हैं अगर जिंदा में ही वह आदमी मर जाता तो भी हम आदर देते। अगर वह मरा-मरा जीता तो भी हम आदर देते। अगर य ह उसने भूल की नहीं, ऐसा किया तो फिर हम मरने के बाद ही सम्मान करेंगे। जदा आदमी का हमारे मन में स्वीकार नहीं क्योंकि जीवन का ही हमारे मन सत्कार नहीं। जीवन ही हमें खतरनाक मालूम पड़ता है,जीवन जोखम मालूम पड़ती हैं इसलिए हम इस मुल्क में बूढ़े का सम्मान करते हैं जवान का नहीं। जो मल्क जितना जीवित हो ता है उतना ही युवा का सम्मान करता हैं, जो मुल्क जितना मरने लगता है उतना बूढ़े का सम्मान करता बूढ़े के सम्मान का क्या मतलब, बूढ़े के सम्मान का सिर्फ एक मतलव है कि यह आदमी हमसे मौत के ज्यादा करीव है, यह आदमी मरने के दर वाजे के हमसे ज्यादा करीब पहुंच गया है। बूढ़े का सम्मान जीवन के कारण हम नहीं कर रहे हैं बूढ़े का सम्मान जीवन के कारण भी हो सकता है कि यह आदमी इत ना जीया इसलिए हम सम्मान करें लेकिन तब हम जवान का भी सम्मान करेंगे। क्यों कि जवान जितनी तेजी से जीता है बूढ़ा कैसे जी सकता है? जवान का भी सम्मान होगा और एक बूढ़े का सम्मान इसलिए होगा की आदमी इतना जीया लेकिन अभी इसने सम्मान होता अभी इसलिए सम्मान होता है जिस आदमी का जीवन से संबंध टूटने लगा, अब यह मौत के करीब पहुंचने लगा, अब यह आदमी करीब-करीब मरा हुआ हो गया इसका एक पैर कव्र में चला गया। अब यह आदमी आदर के योग्य है | और इसके पैर कब्र में गए आदमी में हमें जीवन के प्रति थोड़ा रस मिल जाए तो हम कहेंगे अरे! इस आदमी का अभी जीवन में रस है। हम जीवन विरोधी हैं और जीवन विरोधी हम क्यों हैं? और सारा मुल्क क्यों हजारों साल से मोक्ष की कामना कर रहा है। इसका कुल एक कारण है हम जीवन की क Page 17 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy