SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारत की खोज र। मनुष्य के सत्य तक ले जाने की राह है। अगर हम मनुष्य के सत्य तक पहुंचना चाहते हैं तो मनुष्य के तथत्य को हमें परिपूर्ण स्वीकृति देनी जरूरी है। वह कितना ही नग्न हो, वह कितना ही कुरूप हो, वह कितना ही वेहुदा हो, उसे हम अंगीकार ना करें, आंख चुराएं, तो हम भटक जाते हैं हम भटक गए हैं। इन ती तीन दिनों में इन तीन सत्रों में पलायन से परंपरा से और आदर्श से इन तीन से मक्त होने के लिए मैंने कहा। अगर यह तीन पत्थर हट जाएं तो भारत की प्रति भा का श्रोत मुक्त हो जाएगा। वह भारत की सरिता सागर की तरफ दौड़ने लगे, लेकिन अगर यह तीन पत्थर भारत की प्रतिभा की सरिता को रोके रहें तो हम एक डबरा बन गए हैं जो दौडता नहीं, चलता नहीं, कहीं पहुंचता नहीं, सड़ता है सडता जाता है। गंदगी बढ़ती चली जाती है। रोग बढ़ता चला जाता है, बीमारी, घाव ब. ढते चले जाते हैं, मवाद इकट्ठी होती चली जाती है, दुर्गंध फैलती चली जाती है। अ र हम आंख बंद करके इस सब को माया माया, झूठ है, झूठ है। आंख बंद करके अपने को संतोष खोजते रहते हैं। इस संतोष से नहीं हो सकता है। तोड़ना पड़ेगा इ धारा को, इसे सागर की ओर उनमूख करना पड़ेगा। ताकि एक दिन मनुष्य पश से उठे और परमात्मा तक पहुंच जाए। परमात्मा का मंदिर निकट है। लेकिन पशु को भुलाकर, झुठलाकर नहीं, पशु को जा नकर, पहचानकर, ट्रान्सडेंस से उसके अतिक्रमण से। और ज्ञान अतिक्रमण का मार्ग है। जानना अतिक्रमण का ट्रान्सडिसेंस की वीटी है। अज्ञान आत्मघात है, ज्ञान आत्म क्रांति है। मेरी बातों को इतनी शांति और प्रेम से सुना, उससे बहुत अनुग्रहित हूं। और अंत में सबसे भीतर बैठे परमात्मा को प्रणाम करता हूं। मेरा प्रणाम स्वीकार करें। ओशो नए भारत की खोज टाक गिवन इन पूना, इंडिया डिस्कोर्स नं०६ मेरे प्रिय आत्मन्, बीते दिनों की चर्चाओं के आधार पर बहुत से प्रश्न मित्रों ने पूछे हैं। एक मित्र ने पू छा है, कि क्या सारा अतीत ही गलत था, क्या सारा अतीत ही छोड़ देने योग्य है, क्या अतीत में कुछ भी अच्छा नहीं है। इस संबंध में दो तीन बातें समझ लेनी चाहिए, पहली बात-पिता मर जाते हैं, हम उन्हें इस लिए नहीं दफनाते हैं कि वह बुरे थे, इसलिए दफनाते हैं कि वह मर गए Page 107 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy