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________________ भारत की खोज हैं। और कोई भी यह कहने नहीं आता कि पिता बहुत अच्छे थे, तो उन्हें दफनाना नहीं चाहिए। उनकी मरी हई लाश को भी घर में रखना जरूरी है। अतीत का अर्थ है कि वह मर गया. जो अब नहीं है। लेकिन मानसिक रूप से हम अतीत की लाशों को अपने सिर पर ढो रहे हैं। उन लाशों से दर्गंध भी पैदा होती है सडती भी। उन लाशों के बोझ के कारण नए का जन्म असंभव और कठिन हो जाता है। अगर किसी घर के लोग ऐसा तय कर लें कि जो भी मर जाएगा। उसकी लाश को हम घर में रखेंगे। तो उस घर में नए वच्चों का पैदा होना बहुत मुश्किल हो जाएगा । और अगर बच्चे पैदा भी होंगे तो पैदा होते से ही पागल हो जाएंगे या आत्महत्या कर लेंगे। वह घर एक पागलखाना हो जाएगा। लाशें ही लाशें घर में इकट्ठी हो जा एं तो नए जीवन का अंकर फूटना मुश्किल हो जाता है। अतीत का अर्थ है जो अब नहीं है, जो मर चुका है। जो मर चुका उसे हमें विदा करने की हिम्मत होनी चाहि ए। दुःख होता है तो भी विदा करने का सामर्थ होना चाहिए। उसे मन के तल पर वचा-बचा कर रखना बहुत ही खतरनाक है। तो जब मैं कहता हं अतीत को छोड देने के लिए तो मेरा अर्थ है ताकि हम भवि य की तरफ देख सकें। मेरा अर्थ है कि जहां से हम गुजर रहे हैं, वहां से हम गुजर ही जाएं, मन हमारा उन रास्तों पर ना भटकता फिरे, जहां अब नहीं है कभी थे। ज हां हम हैं उन रास्तों पर हमारी दृष्टि हो, ताकि हम वहां पहुंच सकें जहां हम अभी नहीं हैं। लेकिन जहां हम थे। उनकी इस स्मृतीयों में खोया हुआ चित्त भविष्य के ि नर्माण में और वर्तमान के जीवन में असुविधाएं पैदा कर गया है। अगर रूस के बच्चों से जाकर पूछो तो वह चांद पर वस्तीयां वसाने के लिए योजना वना रहे हैं। अगर अमरीका के बच्चों से पूछो तो वह आने वाले भविष्य के निर्माण के लिए ना मालूम कितनी कल्पनाएं कर रहे हैं। उनका चित्त भविष्य में, और हमारे बच्चे, हमारे बच्चे रामलीला देख रहे हैं। रामलीला देखना बुरा नहीं है, अगर राम वहुत सुंदर हैं, अदभुत हैं, लेकिन रामलीला ही देखते हुए रूक जाना और रामलीला ही देखते रहना, और रामलीला ही चित्त पर मढ़ा रहना बहुत खतरनाक है क्योंकि यह पीछे की तरफ मुड़ी हुई गर्दन धीरे-धीरे पैरालाईट हो जाती हैं। फिर यह आगे की तरफ नहीं देखती। जैसे किसी कार में पीछे लाईट लगा दिया हो। वह तो कारें पश्चिम में बनती हैं। औ र हम उनकी नकल में बनाते हैं अगर हम शृद्ध भारतीय कार बनाएं तो उसमें एक लक्षण यह होगा कि उसके लाईट पीछे की तरफ लगे होंगे। चलेगी गाड़ी आगे देखे गी पीछे, धूल उड़ रही है उस रास्ते पर रोशनी पड़ेगी। और आगे अंधेरा होगा जहां जाना है। प्रकाश वहां होना चाहिए जहां जाना है। जहां हम चल चुके हैं वहां अंधेरा ही हानिकर नहीं है। क्योंकि पीछे तो कोई जा ही नहीं सकता। जाना तो सदा आगे ही पड़ता है। और जहां हम नहीं जा सकते वहां ध्यान को अटकाना, निश्चित ही जहां हम जा सकते हैं, वहां से ध्यान को वंचित रखना है। Page 108 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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