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भारत का भविष्य
सफल वहां नहीं होने देंगे। और जब वह सफल होने लगेगी तो बाधा डालेंगे, बाधा के लिए उपाय करेंगे। क्योंकि केरल में अगर समाजवादी तंत्र थोड़ा भी सफल होता है तो पूरा हिंदुस्तान अंधा नहीं है कि बैठा हुआ देखता रहेगा। वे उसको सफल नहीं होने देंगे। उसकी सफलता इनके लिए हत्या हो जाएगी। उसकी असफलता में ही ये जी सकते हैं। इसलिए कोई एक स्टेट के तल पर...
...इंपारटेंट पाजिटिवली, व्हीच केन... कांग्रेस पाट्री ऑफ इंडिया, केन बी...
नहीं, मैं किसी पार्टी से मेरा कोई प्रयोजन नहीं है। पार्टियों की अपनी गलतियां हैं, अपनी भूलें हैं। और मजा यह है कि भारत की चाहे कोई भी पार्टी हो, क्योंकि वह भारतीयों की है इसलिए भारतीयों की बुनियादी बेवकूफियां सब पार्टियों के साथ जुड़ी हैं। वह जिस भारतीय मन से मैं लड़ रहा हूं, वह मन क्योंकि सभी पार्टियों के भीतर वही मन है, इसलिए वह बुनियादी रूप से चचेरे भाई हैं, उनमें बहुत ज्यादा फर्क नहीं है।
व्हीच पाट्री इज़ नियर...।
नहीं, आज ठीक अर्थों में कोई पार्टी, ठीक अर्थों में आज कोई पार्टी समाजवाद की व्यवस्था लाने में इस मुल्क में बहुत करीब नहीं है। तो इसलिए मेरा कहना है कि मैं किसी पार्टी से मेरी कोई सहमति नहीं है। समाजवाद से मेरी सहमति है। और समाजवाद के लिए हिंदुस्तान में एक हवा बननी चाहिए। तो एक हवा से एक पार्टी विकसित हो सकती है, जो कि ठीक अर्थों में समाजवादी हो।
आल इमपासिबल टु बिलीव... । यस्टरडे यू टोल्ड... ।
हमेशा, हमेशा, जो नहीं हआ है उसकी बात करना उटोपिया की ही बात करनी है। जो नहीं हआ है। हमेशा। जो नहीं हुआ है।
(प्रश्न का ध्वनि-मुद्रण स्पष्ट नहीं।)
हां, मैं समझा। नहीं, इसलिए मैं कह रहा हूं, इसलिए मैं कह रहा हूं कि मैं ये जो एडजेस्टिंग पोलिटिकल पार्टीज हैं, पार्टी के ढांचे गलत हो सकते हैं, इनके भीतर ढेर व्यक्ति हैं जो गलत नहीं हैं। उनके तंत्र गलत हो सकते हैं। हिंदुस्तान में अभी भी लोकमानस के निकटतम पहंच सके समाजवाद का संदेश, वैसी कोई वैचारिक पार्टी खड़ी नहीं हो सकी। प्रयास हुए बहुत से। वे प्रयास कई तरह से नष्ट हुए। कम्युनिस्ट पार्टी के साथ, लोकमानस और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच कुछ बुनियादी फासले खड़े हो गए। वे कम्युनिस्ट पार्टी के बनने में खड़े हो गए।
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