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________________ भारत का भविष्य उपकार कर रहे हो गांधी पर। तो बड़ी भूल में हो। और तुम अदालत, पुलिसथानों में उनकी तस्वीरें लटका कर तुम समझ रहे हो कि तुम गांधी की इज्जत बढ़ा रहे हो। तुम कम कर रहे हो। तुम्हें पता नहीं है कि जितना गांधी सरकारी हो जाएंगे उतने ही गांधी अपमानित हो जाएंगे। गांधी को कोई पूछेगा नहीं, गांधीवादियों के अगर काम सफल हो गए तो। गांधी को हमने किसी दिन राष्ट्रपिता कहा था। अगर गांधीवादियों से उनका छटकारा नहीं हुआ तो गांधी राष्ट्रहंता मालूम पड़ने लगेंगे। इसे पूर्व से सचेत हो जाना जरूरी है। मैं जो गांधी के विचार की कोई आलोचना करता हूं तो वह गांधी की आलोचना नहीं है। गांधी की आलोचना का सवाल नहीं उठता। गांधी की तरफ इशारा उठाने की भी जरूरत नहीं है। उन जैसे पवित्र लोग मश्किल से हजारों-लाखों वर्षों में एकाध बार पैदा होते हैं। उन पर हाथ उठाने का सवाल भी नहीं है। लेकिन गांधीवाद उनकी आड़ में खड़ा है और गांधीवादी गांधीवाद की आड़ में खड़े हैं। अगर इन पर कोई ठीक विरोध किया जाना है और इनकी आलोचना की जानी है तो गांधी के विचार से आलोचना को शुरू करने के सिवाय और कोई मार्ग नहीं है। और यह ध्यान रहे कि हिंदुस्तान के भाग्य में बहुत निपटारे का समय है। अगर हिंदुस्तान को अपना भविष्य ठीक से सुनिश्चित करना है, एक व्यवस्था देनी है जीवन को, तो हमें सारी बातों पर पुनर्विचार कर लेना होगा। हमें सारी यात्रा पर पुनर्विचार कर लेना होगा। हमें समझ लेना होगा कि हम किस यात्रा को पचास वर्षों में किए आजादी के पहले, आजादी के बाद बीस वर्षों में हमने क्या किया? और कहीं हम उसी तरह की भूल, अगर विचार नहीं करेंगे तो दुबारा दोहराएंगे, दुबारा दोहराएंगे। दोहराते चले जाएंगे। हिंदुस्तान में ईसाई रहते हैं, हिंदू रहते हैं, मुसलमान रहते हैं, जैन कहते हैं, सिक्ख रहते हैं, फारसी रहते हैं, लेकिन आजादी के पहले? आजादी के पहले हमने एक बात दोहरानी शुरू कर दी-हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई! हिंदू मुस्लिम एकता! और हमने कभी खयाल नहीं किया कि हमारे इस गलत शब्द के चुनाव में हिंदू मुसलमानों के लिए सदा के लिए अलग कर दिए। हिंदुस्तान में ईसाई भी रहते हैं, फारसी भी, बौद्ध भी, जैन भी, सिक्ख भी। यह मुसलमान को ही क्यों चुन लिया आपने और हिंदू को क्यों चुन लिया? हिंदू-मुस्लिम एकता! कहना चाहिए था—भारतीय एकता। इंडियन यूनिटी। हिंदू-मुसलमान की एकता का क्या सवाल था? लेकिन तीस साल तक हम यह दोहराते रहे कि हिंदू-मुस्लिम एकता। और मुसलमान को यह लग जाना बिलकुल स्वाभाविक था कि मेरी एकता के बिना हिंदुस्तान की कोई गति नहीं है। हमने वह भूल की। भारतीय एकता, यह सवाल हो सकता था, हिंदू-मुस्लिम एकता का क्या सवाल था? लेकिन वह भूल हमने की। लेकिन हम विचार नहीं किए उस भूल पर कि वह कोई भूल हो गई। और उसकी वजह से हिंदुस्तान और पाकिस्तान टूटे। मुसलमान कांशस हो गया। हिंदू कांशस हो गया। दो चीजें कांशस हो गइ। इस मुल्क में हिंदूइज्म और मोहम्मडेनिज्म। हिंदू और मुसलमान, ये दो सचेत हो गए कि हम ही सब कुछ हैं। इन दोनों को सारा मूल्य देने का परिणाम यह हुआ कि हिंदुस्तान दो हिस्सों में टूट गया। इसका परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान बना। और इसका परिणाम यह हुआ कि एक हिंदू ने गांधी को गोली मारी। लेकिन हम उसको विचार भी नहीं किए। और फिर जब हिंदुस्तान आजाद हो गया तो आपको पता है हम फिर क्या कहने लगे, हम फिर कहने लगे, हिंदी-चीनी भाई-भाई। फिर वही बेवकूफी हमने फिर दोहरानी शुरू कर दी। Page 83 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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