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________________ भारत का भविष्य वह बोर्ड पर गया, जहां दुनिया का नक्शा लटका हुआ था। उसने छड़ी उठाई और कहा कि देखो, यह बड़ी दुनिया है इसमें सबसे श्रेष्ठ देश कौन सा है? सारे बच्चे फ्रांस के थे उन्होंने कहा, फ्रांस सर्वश्रेष्ठ है, फ्रांस से ऊंची पुण्य-भूमि नहीं, फ्रांस में भी भगवान जन्म लेते, फ्रांस दुनिया का गुरु है। सभी मुल्कों को यही बेवकूफी चढ़ी हुई है। हमारे मुल्क गुरु है, हमारे मुल्क में भगवान जन्म लेते हैं, हम ही सर्वश्रेष्ठ। उनको भी वही पागलपन जो हमको। सारी दुनिया में पागलपन है, एक सा है।। उसने कहा, फिर ठीक, फ्रांस सबसे श्रेष्ठ देश है यह तो मानते हो। उन्होंने कहा, यह हम मानते हैं। उसने कहा, अब बाकी दुनिया का सवाल न रहा सिर्फ फ्रांस का रह गया। अब इतना ही सिद्ध करना है कि फ्रांस में मैं सर्वश्रेष्ठ हूं कि नहीं। उसने कहा, अब तुम बता सकते हो कि फ्रांस में सर्वश्रेष्ठ नगर कौन सा है? लड़के समझ गए कि फंस गए चक्कर में, क्योंकि पेरिस, वे पेरिस में ही सब रहते थे। उन्होंने कहा, पेरिस। उसने कहा, तब फ्रांस भी खत्म हो गया, रह गया पेरिस। अब मैं तुमसे पूछता हूं, पेरिस में सबसे श्रेष्ठतम स्थान कौन सा है? मजबूरी थी, कहना पड़ा, यूनिवर्सिटी। यूनिवर्सिटी से श्रेष्ठ विद्या का मंदिर और कहां है! विश्वविद्यालय ! उन्होंने कहा. विश्वविद्यालय श्रेष्ठतम है। तब तक वे समझ गए कि तर्क तो पहुंच गया निष्पत्ति तक, मामला खत्म हुआ जाता है। उसने कहा, फिर विश्वविद्यालय में श्रेष्ठतम विभाग, श्रेष्ठतम विषय कौन सा है? फिलासफी, दर्शनशास्त्र, वे सभी दर्शनशास्त्र के विद्यार्थी हैं। उसने कहा, तब अब कुछ और बताने की जरूरत है, मैं दर्शनशास्त्र का हेड ऑफ दि डिपार्टमेंट हूं। मैं दुनिया का सबसे बड़ा आदमी हूं।। गांधी महान और गांधीवाद महान और मैं, मैं एक छोटा सा गांधीवादी हूं। वह पीछे से आवाज, उस आवाज को बचाने के लिए सारा शोरगुल है। मैंने गांधी की थोड़ी सी आलोचना की तो इतना शोरगुल मच गया। एक महीने.... । मैं तो गुजरात में नहीं था, मैं तो पंजाब था। मुझे तो पता भी नहीं था यहां क्या हो रहा है? यहां आया तो मैं तो देख कर हैरान हो गया। गांधीवादी को इतनी पीढ़ा क्या पहुंची, मैंने गांधी की कुछ आलोचना की तो। इस बेचारे को इतने जोर के घाव कैसे लग गए? इसको घाव लगने का कारण है। गांधी को बचा कर यह अपने को बचाता है। और सच यह है कि गांधी को बचाने की किसी को कोई जरूरत नहीं है। उनकी दुनिया कोई नहीं मिटा सकता। सिर्फ गांधीवादी मिटा सकते हैं। अगर यह बेईमानों का जत्था उनके पीछे पड़ा रहा तो गांधी को ये नेस्तनाबद कर देंगे। गांधी हैं राष्ट्रपिता, और अगर गांधीवादियों के चक्कर में और दस-बीस साल उनको रहना पड़ा। अब वह बेचारे अब कुछ कर भी नहीं सकते। वह तो रहे नहीं गए उनकी फोटू रह गई है। तो फोटू को अदालतों में लटकाए हुए हैं, पुलिसथानों में लगाए हुए हैं। कोई पूछे कि इस बेचारे गांधी को पुलिसथाने में किसलिए बिठाया हुआ है। उसी के नीचे हवलदार बैठ कर मां-बहन की गालियां दे रहा है और गांधी की तस्वीर पीछे लटकी हुई है। उसी के सामने मजिस्ट्रेट रिश्वत ले रहा है और गांधी की तस्वीर पीछे लटकी हुई है। गांधी को तुमने कोई पंचम जार समझा हआ है! गांधी कोई अंग्रेज बादशाह है! गांधी के साथ यह सलूक ठीक हो रहा है। तुम बर्बाद कर दोगे गांधी के नाम को। तुम मूर्तियां बना कर और तुम समझ रहे हो कि तुम बहुत बड़ा Page 82 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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