SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारत का भविष्य कल कालिदास का ही नंबर है। राजा भोज ने कहा, तैयारी हो गई या हम हारेंगे। कालिदास ने कहा, मैं तैयारी कर रहा हूं। फिर वह पंडित बाहर निकला। सीढ़ियों पर खड़े हुए वे बात करते थे। कालिदास ने उस पंडित को जोर से धक्का दे दिया। महल की सीढ़ियां थीं, वह दस-बारह सीढ़ियां नीचे जाकर गिरा। और गुस्से में जो पहले शब्द बोला, कालिदास ने कहा, माफ करना, यही तुम्हारी मातृ-भाषा है, इसके अलावा जानने का कोई उपाय न था। और धक्का देना अशिष्ट है। लेकिन हम सब उपाय करके देख चुके। तुम होश में तो जो भी बोल रहे हो, उससे तुम्हारे गहराई का पता नहीं चल सकता। लेकिन बेहोशी में, और क्रोध का क्षण बेहोशी का क्षण है, वह टेम्प्रेरी मैडनेस का क्षण है, जब कि स्थाई रूप से आदमी बेहोश हो जाता है। उस आदमी के मुंह से वह बात निकल गई जो उसकी मातृभाषा थी। मातृ-भाषा ही नहीं, मात्र संस्कृति भी, मातृ-भूमि भी, वह सब जो हमारी जड़ों में है हमारे गहरे में बैठा होता है। इसलिए पश्चिम को अगर हमने थोपा तो हम ऊपर से कागजी या प्लास्टिक के फूल लगाए हुए दिखाई पड़ेंगे, उनसे हमारे प्राण मजबूत नहीं होंगे। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पश्चिम से सीखना नहीं है। पश्चिम से बहुत कुछ सीखना है। लेकिन पश्चिम में भी जो हुआ है उसको हमारी ही भूमि में खिलाना होगा। हमारे अतीत में ही पश्चिम के बीजों को खिलाना होगा। और तब एक नया भविष्य भारत के लिए पैदा होगा। जिसमें न तो भारत सौ प्रतिशत भारतीय हो सकता है और न भारत सौ प्रतिशत पश्चिमी हो सकता है। भारत बिलकुल एक नया ही सिंथेटिक, एक नई ही समन्वित संस्कृति होगा। जिसमें भारत का अतीत आधार बनेगा, पश्चिम की सारी खोजें निमित्त और सहयोग बनेंगी। और जो प्रकट होगा वह बिलकुल नया होगा। वह क्रास-ब्रीडिंग होगी। पुराने लोग समझते थे कि क्रास-ब्रीड जो है बड़ी बुरी बात है। पुराने लोग समझते थे शंकर होना बड़ी बुरी बात है। लेकिन आधुनिक विज्ञान कहेगा कि क्रास-ब्रीड की बड़ी सामर्थ्य है। अगर एक अंग्रेज सांड और हिंदुस्तानी गाय से बच्चा पैदा होता है तो उसके पास हिंदुस्तानी गाय की तो सारी होती ही हैं, उसके पास अंग्रेज सांड की भी सारी शक्ति होती है। और वह जो बच्चा है वह हिंदुस्तानी गाय और अंग्रेज सांड दोनों से बेहतर होता है। भारत किधर? तो मैं देखता हूं कि भारत का भविष्य पश्चिम के आधुनिक विज्ञान और भारत के अतीत में पैदा हुए धर्म, इनकी क्रास-ब्रीड से पैदा होगा। भारत का भविष्य, शंकर भविष्य होगा। लेकिन अगर करपात्री जी से या शंकराचार्य से पूछिएगा तो वे बहुत नाराज होंगे। वे कहेंगे कि शंकर! क्रास-ब्रीड! ये तो हम भ्रष्ट हो जाएंगे। हमें तो शुद्ध होना चाहिए। लेकिन इस जगत में जितना विकास है वह सब क्रास-ब्रीडिंग है। सारा विकास। इस जगत में जितना विकास है उसमें जो शुद्ध रहना चाहेगा वह मरेगा, वह हिटलर जैसा पागल है। और इस जमीन पर बहुत कम पागल हुए हैं जो हिटलर जैसे पागल हों। बल्कि हिंदुस्तान में बहुत पागल हैं। जिनके दिमाग में हिटलरी सपने और खयाल हैं। जो समझते हैं शुद्ध हंड्रेड परसेंट भारतीय। हंड्रेड परसेंट भारतीय कुछ नहीं बच सकता। हां, सिर्फ मरघट हो सकता है हंड्रेड परसेंट भारतीय। एक मरघट हम बनाना चाहें तो मुल्क बन सकता है। और जो कहते हैं कि हंड्रेड परसेंट भारतीय नहीं, वे भी उतने ही गलत बात कहते हैं। क्योंकि अगर हम हंड्रेड परसेंट भारतीय नहीं होने का तय कर लें तो हम सिर्फ कागजी आदमी रह जाएंगे। कागज की नावें, जिनके पास कोई लंगर भी नहीं Page 66 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy