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________________ भारत का भविष्य अगर हम थोड़ी सी फिक्र करें तो किसी भी दिशा में अनंत दिशाएं खुलती चली जाती हैं। आदमी को जानने को बहुत कुछ शेष है, और आदमी को खोजने को बहुत कुछ शेष है, और आदमी हर रद्दी चीज को भी क्रियात्मक सक्रिय रूप से महत्वपूर्ण बना सकता है। लेकिन हमें खयाल में आ जाए तब, अन्यथा नहीं। सिर्फ आपकी दिशा बदले इसलिए मैंने ये बात कही हैं, आप इस दिशा में सोचें इसलिए ये बात कही हैं। (प्रश्न का ध्वनिमुद्रण स्पष्ट नहीं । ) यह सवाल तो बड़ा है और दो-तीन मिनट में जवाब देना बहुत मुश्किल पड़े, लेकिन दो-चार बातें मैं कहूं और सांझ को उस सवाल को फिर उठा लूंगा ताकि पूरी बात हो सके। पहली तो बात यह है कि अगर युवक ज्यादा देर तक अविवाहित रहे तो मैं यह नहीं कहता हूं कि वह ज्यादा देर तक वह बिना प्रेम के भी रहे । अविवाहित रह कर भी प्रेम किया जा सकता है। और मैं उन लोगों में से नहीं हूं, जो यह कहूं कि वे ब्रह्मचर्य धारण करके रहें। क्योंकि वह नासमझी की बात है । कभी लाख में एकाध आदमी उसे उपलब्ध हो सकता है। लेकिन आज तो साइंस ने इतने आर्टिफिशियल साधन उपलब्ध कर दिए हैं कि बिना बच्चे पैदा किए प्रेम किया जा सकता है। इसलिए उसमें बहुत घबड़ाने की जरूरत नहीं है, उसमें बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है । दूसरी बात एक मित्र ने पूछी है कि करप्शन बढ़ गया है। करप्शन बढ़ेगा ! स्वाभाविक है ! जहां लोग ज्यादा होंगे और जरूरतें की चीजें कम होंगी, वहां करप्शन बढ़ेगा। इस करप्शन को मिटाने का उपाय करप्शन को मिटाना नहीं है, इस करप्शन को मिटाने का उपाय लोगों की जिंदगी में समृद्धि लाना है । और कोई रास्ता नहीं है। कोई दुनिया में आदमी बुरा नहीं होना चाहता, बुरा होना सिर्फ मजबूरी से संभव होता है। बुरा से बुरा आदमी भी मजबूरी का फल होता है। अगर लोग चोर हैं, बेईमान हैं, रिश्वतखोर हैं, तो मजबूरियां उन्हें इन सब चीजों के लिए मजबूर कर रही हैं। इसलिए अगर हमने सोचा कि हम भ्रष्टाचार मिटाएंगे, करप्शन मिटाएंगे, तो सिर्फ बकवास चलेगी, कुछ मिटने वाला नहीं है। अगर हम जिंदगी की असली बात को समझ लें कि चीजें कम हैं और लोग ज्यादा हैं। इसलिए भ्रष्टाचार स्वाभाविक है। तो भ्रष्टाचार को तो एक तरफ छोड़ो, चीजें बढ़ाने में लग जाओ। भ्रष्टाचार मिट जाएगा । और उन मित्र ने कहा है कि इतने ज्यादा महात्मा हैं। जहां भ्रष्टाचार ज्यादा होता है, महात्मा ज्यादा हो जाते हैं। असल में भ्रष्टाचारी समाज में महात्मा बढ़ जाते हैं । उसका कारण है। क्योंकि जहां बीमार ज्यादा होते हैं वहां डाक्टर बढ़ जाते हैं, जहां चोर - बेईमान ज्यादा होते हैं। Page 55 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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