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भारत का भविष्य
भीतर प्रवेश कर जाता है। और इतने जोर से हो रही ये बौछार कि कठिनाई हो गई है। वह दोनों प्रोफेसर का जंग अध्ययन करता रहा। वह खिड़की में छुप कर उनकी बातें सुनता था। वह बड़ा हैरान हुआ। हैरानी दो तरह की थी। एक तो हैरानी यह थी कि वे दोनों जो बातें करते थे, वे अत्यंत नापूर्ण थीं, उनकी बातें सुन कर कोई भी नहीं कह सकता था कि वे पागल हो गए हैं। उनकी बातें तर्कयुक्त थीं। उनकी बातों में बराबर ग्रंथों के उद्धरण होते थे, उनकी बातों में। उसने ग्रंथ भी उठा कर देखे तो पाया कि उनके उद्धरण बिलकुल सही हैं। वे शब्द-शब्द ठीक बोलते हैं। एक तो हैरानी की बात थी कि पागल होकर वे इतने तर्कपूर्ण हैं। हालांकि हैरान होने की कोई जरूरत नहीं। पागल अक्सर तर्कपूर्ण होते हैं। असल में पागलों के अपने तर्क होते हैं। दे हैव देयर ओन लाजिक। लेकिन और दूसरी हैरानी की बात यह थी कि वे दोनों पागल इतनी सव्यवस्थित बात तो करते थे, लेकिन एक-दूसरे की बातचीत में कोई संबंध नहीं होता था। जो एक बोल रहा था वह आकाश की बोलता था, दूसरा पाताल की बोलता था। उन दोनों के बीच कोई संबंध ही नहीं था। लेकिन यह भी स्वाभाविक है कि दो पागलों के बीच बातों में संबंध न हो, यह स्वाभाविक है। तीसरी बात और भी हैरानी की थी कि जब एक बोलता था तब दूसरा चुप रहता था और जब दूसरा बोलना शुरू करता तो पहला चुप हो जाता। इससे जुंग बहुत हैरान हुआ कि जो पागल एक-दूसरे से असंबंधित बातें बोल रहे हैं, वे भी इतना खयाल क्यों रखते हैं कि दूसरा चुप हो तब हम बोलें! उसने जाकर उनसे पूछा कि मैं और सब तो समझ गया, यह बात मैं नहीं समझ पा रहा कि जब एक बोलता है तो दूसरा चुप क्यों रहता है? वे दोनों हंसने लगे। उन्होंने कहा, आप भी बड़े पागल हैं। क्या आप समझते हैं हमें कनवरसेशन का नियम नहीं मालूम? हमें कनवरसेशन का नियम मालूम है। जब एक बोल रहा है तब दूसरे को चुप रहना चाहिए। जुंग ने कहा, जब तुम्हें इतना पता है तो तुम्हें इतना पता नहीं जो एक बोल रहा है उसी संबंध में दूसरे को बोलना चाहिए। वे दोनों बहुत खिलखिला कर हंसने लगे। उन दोनों ने कहा कि खैर हम तो पागल हैं, लेकिन हमने दुनिया में दो गैर-पागल लोगों को भी ऐसी बात करते नहीं देखा जिसमें कोई संबंध हो। पता नहीं यह जुंग को कहां तक बात जंची या नहीं जंची, लेकिन इस मुल्क में ऐसी घटना घट रही है। यहां दो आदमी की बातचीत में कोई संबंध नहीं रह गया। और तो दो पीढ़ियों के बीच में तो कोई संबंध नहीं रह गया है। और अगर दो ही पीढ़ियां होतीं तब भी ठीक था, कई पीढ़ियां हो गई हैं, क्योंकि एक पीढ़ी बीस साल में बदल जाती है। तो तीन-चार पीढ़ियां हैं। जो अस्सी साल का है वह कुछ और भाषा बोल रहा है, उसका बेटा जो साठ साल का है वह भी यह भाषा नहीं बोलता, उसका जो बेटा चालीस साल का है वह कछ और बोल रहा है. उसका जो बेटा बीस साल का है वह कुछ और बोल रहा है। और जो बेटे दस-पंद्रह साल के हो रहे हैं वे कोई
और भाषा बोल रहे हैं जिनका अस्सी साल के बाप से कहीं कोई संबंध नहीं रह गया। इनके बीच के सब ब्रिज गिर गए हैं। मुल्क करीब-करीब एक मैड हाउस, एक पागलखाना मालूम पड़ता है। जब शिक्षक कुछ विद्यार्थियों से कहता है तो विद्यार्थियों की समझ के बाहर होता है कि कौन सी फिजूल बातें कही जा रही हैं। अब तो शिक्षक को भी शक होने लगा है कि वह शायद फिजूल की बातें कह रहा है। क्योंकि चारों तरफ की आंखें उसे दिखाई पड़ती हैं
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