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________________ भारत का भविष्य वैसा संकट मनुष्य के इतिहास में कभी भी नहीं था। इस संकट की कुछ नई खुबियां हैं, पहले हम उन्हें समझ लें तो आसानी होगी। मनुष्य पर अतीत में जितने संकट थे, वे उसके अज्ञान के कारण थे। जिंदगी में बहुत कुछ था जो हमें पता नहीं था और हम परेशानी में थे। वह परेशानी एक तरह की मजबूरी थी, विवशता थी। नये संकट की खूबी यह है कि यह अज्ञान के कारण पैदा नहीं हुआ है, ज्यादा ज्ञान के कारण पैदा हुआ है। जैसे दुनिया में नालेज एक्सप्लोजन हुआ है, ज्ञान का विस्फोट हुआ है। हमेशा आदमी आगे था और ज्ञान बहुत पीछे सरकता था, छाया की तरह। अब ज्ञान आगे हो गया है और आदमी को पीछे सरकना पड रहा है, छाया की तरह। अज्ञान से जितनी तकलीफें हुई थीं, उससे बहुत ज्यादा तकलीफें ज्ञान से हो गई हैं। असल में अज्ञान से जो तकलीफ है, वह मजबूरी की तकलीफ है। क्योंकि अज्ञान एक कमजोरी है। और ज्ञान से जो तकलीफ होती है वह ज्यादा ताकत की तकलीफ है। जैसे बच्चे के हाथ में तलवार दे दी जाए और बच्चा अपने को नुकसान पहुंचा ले। आदमी के पास जितना ज्ञान आज है, वह ज्ञान ही उसे नुकसान पहुंचाने वाला सिद्ध हो रहा है। दो कारणों से। एक तो आदमी उस ज्ञान के साथ आगे नहीं बढ़ पा रहा है। दूसरा, आदमी के पुराने जिंदगी के अनुभव और आदतें उस नये ज्ञान के इंप्लीमेंटेशन में, उसके प्रयोग में बाधा बन रही हैं। दूसरा इस संकट की एक विशेष खूबी है और वह यह है कि पुराने सारे संकट ऐसे संकट थे कि हम अपने अतीत के अनुभव से उन्हें हल करने के लिए कोई रास्ता खोज सकते थे। हमारे पास एक्सपीरिएंसेज उनके लिए रास्ता बन जाते थे। नये संकट की दूसरी खूबी यह है कि पुराना कोई भी अनुभव काम का नहीं है। क्योंकि जो संकट पैदा हुआ है वह नये ज्ञान से पैदा हुआ है। और पुराने मनुष्य-जाति के अनुभव में उससे मुकाबला करने के लिए कोई उत्तर नहीं है। और हमारी सदा की आदत यह रही है कि जब भी हम नई परिस्थिति से जूझते हैं तो पुराने अनुभव के आधार पर जूझते हैं। यह हमेशा ठीक था, पुराना अनुभव सदा काम दिया था, अब काम नहीं देगा। क्योंकि जो ज्ञान हमारे सामने है, जिससे संकट उत्पन्न हुआ है वह इतना नया है कि उसका कोई मिसाल, उसका कोई मुकाबला मनुष्य के अतीत में नहीं था। लेकिन मनुष्य के सोचने का ढंग हमेशा पास्ट ओरिएनटेड होता है, वह पीछे से बंधा होता है। जैसे उदाहरण के लिए दो-तीन बातें मैं कहूं, तो आपके खयाल में आ सकें। आज भी हम स्कूल में सात साल के बच्चे को भरती करते हैं। कोई भी यह नहीं बता सकता कि सात साल के बच्चे को भरती करने की क्या जरूरत है? सात साल कैसे तय किया गया है स्कूल में बच्चे को भरती करने के लिए? कौन सा वैज्ञानिक कारण है? लेकिन सारी दुनिया सात साल के बच्चे को स्कूल में भरती करे जाती है। हमें यह खयाल में ही नहीं है कि जब हमने आज से कोई चार सौ या पांच सौ साल पहले सात साल के बच्चे को स्कूल में भरती किया था, तो जिन कारणों से किया था वे कारण अब कहीं भी नहीं रह गए हैं। असल में स्कूल इतने दूर थे कि सात साल से छोटा कम का बच्चा उतने दूर के स्कूल में नहीं भेजा जा सकता था। उसका बच्चे से कोई भी संबंध नहीं है सात साल की उम्र का। लेकिन अब स्कूल बिलकुल पड़ोस में तो भी सात साल के बच्चे को हम स्कूल भेजे चले जाते हैं। Page 32 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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