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भारत का भविष्य
महापुरुष सिर्फ बुरे समाज में दिखाई पड़ते हैं, अच्छे समाज में दिखाई नहीं पड़ते। असल में महापुरुष अगर बनना हो तो बुरा समाज बहुत जरूरी है। इसलिए जितना बुरा समाज होता है उतने महापुरुष पैदा हो सकते हैं। इसका यह मतलब नहीं कि अच्छे समाज में महापुरुष पैदा नहीं होते। होते हैं, लेकिन दिखाई नहीं पड़ते। ऐसा है जैसे स्कूल का शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर लिखता है सफेद खड़िया से, सफेद दीवाल पर भी लिख सकता है, लिख तो जाएगा, लेकिन पढ़ा नहीं जा सकेगा। सफेद खड़िया से लिखे गए अक्षर काले तख्ते पर दिखाई पड़ते हैं। सफेद तख्ते पर दिखाई नहीं पड़ेंगे। समाज का काला तख्ता हो तो महापुरुष दिखाई पड़ते हैं, अन्यथा दिखाई नहीं पड़ते। अगर जिस दिन समाज अच्छा हो जाएगा उस दिन महापुरुषों की कहानी खत्म। उस दिन महापरुष पैदा नहीं हो सकेंगे। महापरुषों के लिए बरा समाज बिलकल नेसेसिटी है। उसके बिना महापरुष नहीं दिखाई पड़ता। होगा पैदा लेकिन दिखाई नहीं पड़ेगा। अगर चारों तरफ अच्छे लोग हों, तो अच्छा आदमी अलग से दिखाई नहीं पड़ सकता, काला तख्ता चाहिए समाज का। हिंदुस्तान ने सबसे ज्यादा महापुरुष पैदा किए, क्योंकि हिंदुस्तान के पास सबसे रद्दी समाज है। दुनिया ने इतने अच्छे महापुरुष पैदा नहीं किए, इतने बड़े महापुरुष पैदा नहीं किए। उसका कारण है। दुनिया ने अच्छा समाज पैदा करने की कोशिश की है। जहां-जहां अच्छा समाज बनता जाता है बड़ा आदमी तिरोहित होने लगता है, खो जाता है, दिखाई नहीं पडता. उसका पता नहीं चलता, उसको खोजना बहत मश्किल हो जाता है। चोरों के समाज में साधु आदर पाता है। साधुओं के समाज में साधु को कौन पूछे? इसलिए साधु के लिए जरूरी है कि चोर बने रहे, नहीं तो साधु मर जाएगा। साधु के लिए जरूरी है कि बेईमान रहे, साधु के लिए जरूरी है कि बुरा आदमी चारों तरफ मौजूद रहे। हमारा मुल्क बहुत साधु पैदा करता है, क्योंकि उससे हजार गुने बेईमान और चोर पैदा करता है। नहीं तो साध दिखाई नहीं पड़ेगा। अतीत के अच्छे आदमी भी इस बात की गवाह है कि अतीत का समाज अच्छा नहीं रहा होगा। बड़े मजे बात, और वह यह है कि हम सोचते हैं कि पहले के लोग सब अच्छे थे, लेकिन अगर हम पहले के बड़े लोगों की शिक्षाएं देखें तो यह भ्रम टूट जाएगा। बुद्ध सुबह से उठ कर सांझ तक एक ही बात लोगों को समझाते हैं, चोरी मत करो, बेईमानी मत करो, दूसरे की स्त्री को बुरे भाव से मत देखो। लोग जरूर देखते रहे होंगे। अन्यथा इन शिक्षाओं की जरूरत नहीं है। आज मैं स्वर्ण मंदिर में गया। तो वहां संगमरमर के पत्थर पर एक वचन लिखा हुआ है कि पराई स्त्री को देखना महा पाप है। पराई स्त्री को देखने वाला कुत्ते की मौत मरता है। पराई स्त्री को जरा सा भी बुरा विचार किया कि तुम नरक के गड्ढे में गए। जिन्होंने लिखा है और जिनके लिए कहा गया होगा उनकी दृष्टि पराई स्त्री के संबंध में अच्छी नहीं रही होगी। यह कोई अच्छे समाज में कही गई बात नहीं हो सकती। और इस बात को संगमरमर पर लिखना पड़ता है, यह सबूत है कि समाज बहुत गंदा रहा होगा। अच्छी दुनिया में ऐसे पत्थर हमें अलग करने पड़ेंगे। कि कोई कहेगा, यह क्या पागलपन की बात है! यह कोई अच्छा लक्षण नहीं है। लेकिन समाज की गवाही देता है। महावीर लोगों को समझा रहे हैं, चोरी मत करो, बेईमानी मत करो, ब्रह्मचर्य साधो। लोग नहीं साधते रहे होंगे। दुनिया की पुरानी से पुरानी किताब भी लोगों को
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