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________________ भारत का भविष्य हमने जो समय की धारणा की है उसमें अच्छा पीछे हो चुका और बुरा आगे होने को । और यह धारणा बदलनी पड़ेगी, हमें पीछे से आगे की जिंदगी को सुखद, आने वाले भविष्य को सूर्य से भरा हुआ, आने वाले भविष्य के सपने को हमें कुछ अच्छे रंग देने पड़ेंगे। और अगर यह काम हम पूरा न कर पाए, तो इस जमीन पर हमारी कोई जगह रह जाने को नहीं है। आज भी कोई जगह रह नहीं गई है । उटोपिया चाहिए भविष्य में । हर रोज आने वाला दिन बेहतर होने वाला है यह हमारे मन के गहरे में बैठ जाना चाहिए। क्योंकि उस दिन को बनाएगा कौन? उस दिन को हम बनाएंगे। हर आने वाली पीढ़ी पिछली पीढ़ी से बेहतर होने वाली है, यह हमारी धारणा होनी चाहिए। लेकिन हमारी धारणा बहुत अजीब है। हमारी धारणा है कि पीछे सब अच्छा है । उस धारणा को भी थोड़ा विचार लेना चाहिए, क्योंकि तोड़ना है, तो बिना विचारे तोड़ा नहीं जा सकता । यह धारणा इसलिए भी गलत है कि भविष्य सुंदर न हो तो सुंदर नहीं बन सकेगा, इसलिए भी गलत है कि यह तथ्य भी नहीं, यह यथार्थ भी नहीं । अतीत सुंदर नहीं था । लेकिन अतीत के सुंदर होने का खयाल हमारे मन में जरूर है। उसके कारण हैं। हम अतीत में जो सबसे अच्छा आदमी हुआ है उसे आज के सबसे बुरे आदमी से तौलते हैं। बड़ी अजीब बात है! राम को, बुद्ध को, महावीर को, कृष्ण को, क्राइस्ट को हम अपने पड़ोसी से तौलते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि राम उस जमाने का सबसे बेहतर आदमी है और अखबार में जो खबर छपती है वह हमारे जमाने के सबसे रद्दी आदमी की है। हम उन दोनों को तौल लेते हैं। हम अतीत के बेहतर आदमी से आज के आखिरी आदमी को तौलते हैं। इसलिए हमेशा कठिनाई हो जाती है । यह तौल गलत है। यह तौल बिलकुल ही बेहूदी है। आज का सामान्य आदमी अतीत के किसी भी सामान्य आदमी से बेहतर है । और आज का महापुरुष भी अतीत के किसी महापुरुष से पीछे नहीं हैं। लेकिन अतीत के महापुरुष से हम सामान्य आदमी को तौलने लगते हैं । और हम सामान्य आदमी को भूल गए हैं पिछले, हमें पता नहीं कि राम के वक्त भी सामान्य आदमी कैसा था । राम का पता है, राम से हम सोचते हैं। कि रामराज्य बड़ा सुंदर रहा होगा। राम के आधार से हम सोचते हैं। आज से हजार साल बाद, दो हजार साल बाद आपका नाम किसी को याद नहीं रहेगा, मेरा नाम किसी को याद नहीं रहेगा। गांधी का नाम याद रह जाएगा। दो हजार साल बाद लोग सोचेंगे, गांधी का युग बहुत अच्छा था। गांधी जैसा आदमी पैदा हुआ। यह झूठी बात होगी। गांधी का युग गांधी जैसे आदमियों का युग नहीं था। गांधी का युग गांधी से बिलकुल उलटे आदमियों का युग था । और यह भी ध्यान रहे कि अगर गांधी के युग में गांधी जैसे लोग बहुत होते तो गांधी को पूछता कौन? राम को पूछा लोगों ने क्योंकि लोग राम से उलटे थे। राम न्यून रहे होंगे, बहुत कम रहे होंगे, संख्या में बहुत थोड़े रहे होंगे। इसलिए पूजे गए। बहुत ज्यादा लोग पूजे नहीं जा सकते हैं। कृष्ण बहुत अकेले रहे होंगे, बुद्ध और महावीर भी अकेले रहे होंगे। अकेले होने की वजह से उन्हें पूजा मिली। अगर बुद्ध के जमाने में दस-पच्चीस बुद्ध भी होते, तो गौतम बुद्ध कभी के भूल गए होते। पच्चीस बुद्धों को याद रखना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन उस जमाने के अच्छे आदमी से हम सोचते हैं सारा जमाना अच्छा रहा होगा। इससे भ्रांति पैदा होती है । इससे खतरनाक तुलना पैदा होती है, इससे एक गलत कंपेरिजन पैदा होता है । और यह भी ध्यान रहे कि Page 19 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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