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________________ भारत का भविष्य जो शिक्षाएं देती हैं वे वही हैं जिनकी हमें आज भी जरूरत है। इससे पता चलता है आदमी ऐसा ही रहा होगा । बल्कि इससे भी बदतर रहा होगा। ये खबरें हैं। वैसे कहानियां तो ये कहती हैं कि एक जमाना था भारत में कि लोगों के घर में ताले नहीं लगते थे। हेनसान ने लिखा है कि भारत में ताले नहीं लगते। जब मैं इसको पढ़ता हूं तो मुझे बड़ी हैरानी होती है ! हैरानी मुझे यह होती है, तो हम सोचते हैं कि शायद लोग चोरी नहीं करते होंगे, लेकिन यह बात ठीक नहीं मालूम पड़ती। क्योंकि हेनसान के पहले ही बुद्ध और महावीर बिहार में ही लोगों को समझा रहे हैं कि चोरी महापाप है, चोरी मत करना, नरक में सड़ाए जाओगे, चोरी बहुत बुरी चीज है । बुद्ध और महावीर समझा रहे हैं, चोरी महापाप है। और अगर ताले नहीं लगते तो फिर दो ही कारण हो सकते हैं, या तो चोरी के योग्य सामान न रहा होगा लोगों के पास या फिर ताला बनाने की अकल न रही होगी, और कोई कारण नहीं है। चोर तो जरूर थे। नहीं तो चोरी के खिलाफ समझाने की कोई जरूरत नहीं थी । या फिर बुद्ध और महावीर का दिमाग खराब रहा होगा कि जो लोग चोरी नहीं करते उनको समझा रहे हैं कि चोरी मत करो! जो लोग बेईमान नहीं हैं उनको समझा रहे हैं कि बेईमानी मत करो ! मैंने सुना है, एक चर्च में एक फकीर को कुछ लोग ले गए और उस चर्च के लोगों ने उस फकीर से कहा कि हमें सत्य के संबंध में कुछ समझाएं। तो उस फकीर ने कहा, चर्च में आए हुए लोगों को सत्य के संबंध में समझाना अपमानजनक है, इनसल्टिंग है। क्योंकि चर्च में जो लोग आए हैं वे सत्य बोलते ही होंगे। लेकिन लोग नहीं माने। उस फकीर ने कहा, तुम नहीं मानते हो तो मुझे समझाना पड़ेगा। लेकिन मैं यह सोचता हूं कि सत्य के संबंध में किसी जेलखाने में समझाना चाहिए, चर्च में नहीं । उस फकीर को पता नहीं होगा कि जेलखाने के भीतर जो हैं और चर्च के भीतर जो हैं, इनमें सिर्फ दीवालों का फर्क है और कोई बहुत फर्क नहीं है। उसने खड़े होकर समझाना शुरू किया। उसने कहा, इसके पहले कि मैं कुछ कहूं, मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं। उसने उस चर्च में आए हुए लोगों से पूछा कि आप सारे लोग बाइबिल तो पढ़ते हैं न? तो सारे लोगों ने हाथ ऊपर उठा दिए। उसने पूछा कि आपने ल्यूक का उनहत्तरवां अध्याय भी कभी पढ़ा है? सारे लोगों ने हाथ उठा दिए कि हमने पढ़ा है, सिर्फ एक आदमी को छोड़ कर । उस फकीर ने कहा कि अब मुझे बोलना पड़ेगा, क्योंकि ल्यूक का उनहत्तरवां अध्याय जैसा कोई अध्याय बाइबिल में है ही नहीं। और आप सब कहते हैं कि आपने पढ़ा है। तब मैं समझ गया कि मुझे सत्य के संबंध में कुछ बोलना चाहिए। लेकिन उस फकीर ने कहा कि मैं एक आदमी के लिए हैरान हूं जिसने हाथ नहीं उठाया ! उसने उससे जोर से पूछा कि मेरे भाई तुम ईमानदार और सच बोलने वाले आदमी इस चर्च में कैसे आ गए? तो उस आदमी ने कहा कि असल में मुझे कम सुनाई पड़ता है, आप क्या कह रहे हैं मुझे सुनाई नहीं पड़ा। क्या उनहत्तरवां अध्याय पूछ रहे हैं आप? मैं भी पढ़ता हूं। लेकिन जरा सुनाई कम पड़ता है इसलिए मैंने हाथ नहीं उठाया। सत्य के संबंध में चर्चा में चर्चा चलती है, क्योंकि चर्चों में असत्य बोलने वाले लोगों की भीड़ है। असल में पापियों को छोड़ कर मंदिर की तरफ बहुत कम लोग आकर्षित होते हैं, बहुत कम लोग । तीर्थों की तरफ Page 21 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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