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________________ भारत का भविष्य तरफ आने की शक्ति को इकट्ठा कर रहा है। दाएं से बाएं तरफ जाता हुआ पेंडुलम मूवमेंटम इकट्ठा कर रहा है जो उसे फिर दाएं तरफ ले जाएगा। तो बहुत कठिनाई नहीं है कि नक्सलाइट फिर शंकराचार्य का अनुयायी हो जाए। इसमें कोई बहुत फर्क नहीं है। ये एक्सट्रीम जो हैं इनमें विरोध दिखाई पड़ता है वस्तुतः होता नहीं । T विपरीत से विपरीत पर जाना बहुत आसान है, अत्यंत आसान है । इसलिए बहुत कामुक व्यक्ति ब्रह्मचारी हो सकता है, उसमें बहुत कठिनाई नहीं है । लेकिन बहुत कामुक व्यक्ति संयमी नहीं हो सकता, उसमें कठिनाई है। बहुत ज्यादा खाने के लिए पागल आदमी उपवास कर सकता है, उसमें ज्यादा कठिनाई नहीं है, लेकिन संयमित भोजन नहीं कर सकता, उसमें बहुत कठिनाई है। एक अति से दूसरी अति पर जाना सदा सरल है। क्योंकि दूसरी भी अति है और पहली भी अति थी । एक एक्सट्रीम से दूसरी एक्सट्रीम पर जाना एकदम आसान है। एक्सट्रीमीस्ट माइंड को कोई कठिनाई नहीं। लेकिन मध्य में रुकना बहुत कठिन है। भारत के सामने जो बड़े से बड़ा सवाल यह है कि हम एक अति है पुराने की और एक अति है नये की। एक अति है अति प्राचीन की और एक अति है अति नवीन की। इन दोनों के बीच अगर भारत ने चुनाव किया, तो भारत नया भारत बन सकेगा। नया भारत जिसके आधार पर पुराने की सारी संपदा होगी। नया भारत जिसकी जड़ों में पुराने की सारी ताकत होगी। नया भारत जो अपने अतीत से, अपनी संस्कृति से टूट नहीं गया होगा । और अगर उसने दो में से किसी एक को चुना, अगर उसने पुराने को चुना तो भारत रोज-रोज मरता जाएगा। क्योंकि सिर्फ अतीत के साथ कोई नहीं जी सकता। जो कौम अपने अतीत को रोज भविष्य बना सकती है वही जीवित है। जो कौम सिर्फ अतीत को अतीत की तरह पकड़ कर बैठ जाती है वह मर जाती है। या अगर भारत ने सिर्फ नये को चुना, अतीत को इनकार किया, तो भारत बहुत कागजी, बहुत जापानी हो जाएगा, भारत बहुत ऊपरी हो जाएगा, बहुत सुपरफिसियल हो जाएगा । उसकी जिंदगी की गहराइयां सब खो जाएंगी। भारत ऊपर की लहरें बन जाएगा। उसके नीचे के सारे तल विदा हो जाएंगे। और जो कौम अपने को पूरा इनकार कर दे, वह कौम हवा के थपेड़ों पर जीने लगती है। फिर हवा के कोई भी थपेड़े उसे बदलते रहेंगे। आज उसे कम्युनिज्म ठीक लगेगा, कल उसे फेसिइज्म ठीक लगेगा, परसों उसे डेमोक्रेसी ठीक लगेगी, आगे उसे डिक्टेटरशिप ठीक लगेगी। आज उसे ये कपड़े ठीक लगेंगे, कल उसे वे कपड़े ठीक लगेंगे। आज यह ज्ञान ठीक लगेगा, कल वह ज्ञान ठीक लगेगा। और कोई भी चीज इतनी ठीक न लग पाएगी जो उसकी आत्मा बन जाए, सब उसके वस्त्र रह जाएंगे। एक नये भारत के लिए पहला मेरा खयाल है वह यह है कि भारत को भारत रहते हुए नया होना है। बहुत आसान है भारत होना छोड़ कर नया होना । और यह भी बहुत आसान है भारत रह कर भारत बने रहना और नया न होना। ये दोनों बातें बहुत आसान हैं। I कठिनाई यहां है कि भारत भारत रहे और नया हो जाए। इसका क्या अर्थ होगा? इसका अर्थ यह होगा कि भारत भविष्य उन्मुख हो, लेकिन अतीत शत्रु न हो जाए। इसका अर्थ होगा भारत नया होने की तैयारी जुटाए लेकिन Page 164 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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