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________________ भारत का भविष्य को बचाना चाहा तो धर्म नहीं बचेगा, अगर हमने हिंदू धर्म को बचाना चाहा तो धर्म नहीं बचेगा, अगर हमने जैन धर्म को बचाना चाहा तो धर्म नहीं बचेगा, अगर हमने मुसलमान धर्म को बचाना चाहा तो धर्म नहीं बचेगा, अगर हमने धर्म को बचाना चाहा तो धर्म बच सकता है। असल में जब हम धर्मों को पचास हिस्सों में तोड़ देते हैं तो अधर्म से लड़ने की ताकत कम हो जाती है । अधर्म से लड़ेगा कौन? धर्म आपस में लड़ते हैं! मंदिर-मस्जिद लड़ते हैं । कम्युनिज्म से कौन लड़ेगा ? हिंदू-मुसलमान लड़ते हैं, हिंदू-सिक्ख लड़ते हैं, हिंदू-जैन लड़ते हैं। आज भी चीन में बौद्धों का मठ गिराया जा रहा है, मुसलमानों की मस्जिद गिराई जा रही है, ईसाइयों का चर्च तोड़ा जा रहा है। फिर भी बौद्ध ईसाई के खिलाफ बोले चले जाते हैं, ईसाई मुसलमान के खिलाफ बोले चले जाते हैं, मुसलमान बौद्धों के खिलाफ बोला चला जाता है। ये धार्मिक आदमी हैं या पागल हो गए लोग हैं! अगर धर्म को दुनिया में बचाना है तो धर्म को बचाने की तैयारी करनी पड़ेगी। छोटे-छोटे मोह छोड़ने पड़ेंगे। मेरा धर्म नहीं बचेगा अब, अब धर्म बच सकता है। और धर्म तभी बच सकता है जब धर्म आपस में लड़ने का पागलपन बंद कर दे। अन्यथा धर्म आपस में लड़ते हैं और अधर्म की तो कोई लड़ाई अधर्म से नहीं होती। यह कितने मजे की बात कि दुनिया में धर्म तीन सौ पचास हैं और अधर्म एक है। अधर्म का कोई विभाजन नहीं है और धर्म के इतने विभाजन हैं। विभाजित धर्म बच नहीं सकेगा। अविभाजित धर्म बच सकता है। चाहे हिंदू हो, चाहे सिक्ख, चाहे मुसलमान, चाहे जैन, अगर हम धर्म को बचाना चाहते हों तो कम्युनिज्म से टक्कर ली जा सकती है। और अगर हमने अपने छोटे-छोटे धर्मों को बचाने की कोशिश की तो ये सब डूब जाएंगे और अधर्म जीतेगा। अगर हम सत्य को बचाना चाहते हों, तो हमें मेरे का आग्रह छोड़ देना चाहिए। अगर हम सत्य को बचाना चाहते हों, तो हमें छोटी-छोटी दीवालों का मोह छोड़ देना चाहिए। लेकिन वह मोह हमारा नहीं छूटता । बूढ़े मन के मोह बड़ी मुश्किल से छूटते हैं। इसलिए मैंने ये थोड़ी सी बातें कहीं, भारत का चित्त यदि जवान हो सके तो भारत के लिए एक स्वर्णमय भविष्य पैदा किया जा सकता है। अगर भारत का चित्त बूढ़ा रहा तो भविष्य एक मरघट होगा, एक कब्रिस्तान होगा, भविष्य एक जीवित, Page 14 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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