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________________ भारत का भविष्य यू डोंट फाइंड एनी आब्जेक्शन इन मूवमेंटली सेम ऑल। कोई सवाल ही नहीं है। कैपिटलिस्ट जो है, कैपिटलिस्ट जो है, वह कैपिटलिज्म का उतना ही विक्टिम है जितना प्रोलिटेरिएट, दोनों। यानी सवाल, इस कैपिटलिज्म का जो इंतजाम है, जो सरंजाम है, जो व्यवस्था है उसमें पूंजीपति उतना ही शिकार है जितना की मजदूर। वे दोनों ही नुकसान में और परेशानी में हैं। मुझे कैपिटलिस्ट से कोई भी विरोध नहीं है, कैपिटलिज्म से विरोध है । यह साफ होना चाहिए । इसलिए पूंजीपति का दुश्मन नहीं हूं मैं पूंजीपति से इतना है कि समाजवाद आए दुनिया में । (प्रश्न का ध्वनि-मुद्रण स्पष्ट नहीं।) इसको थोड़ा समझ लें। क्राइस्ट के मैसेज में, बुद्ध के मैसेज में और मेरी बात में बुनियादी फर्क है। नहीं, मेरी बात समझना न, फर्क क्या है, फर्क क्या है, क्राइस्ट का मैसेज सोसाइटी को बदलने का तो सवाल ही नहीं है, क्राइस्ट का मैसेज तो इंडिविजुअल ट्रांसफार्मेशन का है । बुद्ध का मैसेज भी इंडिविजुअल ट्रांसफार्मेशन का है, एक-एक व्यक्ति को बदलने का है। गांधी की बात आप ले सकते हैं, बुद्ध और क्राइस्ट को छोड़ दें- उनका मैसेज बुनियादी फर्क है। गांधी का मैसेज और गांधीवादी की आप बात ले सकते हैं कि गांधी का मैसेज था और गांधीवादियों ने जो हालत की, तो अगर मैं एक बात कहूं कि बीस साल में मेरा कोई अनुयायी होगा, तो यही हालत कर देगा। उसमें मेरा कहना यह है कि वह जो गांधीवादी ने हालत की है वह गांधीवादी का कसूर नहीं, गांधीवाद का कसूर है, यह होने वाला था। यह गांधी के साथ यही होने वाला था। क्योंकि गांधीवाद की बुनियादी दृष्टि गलत है। तो गांधीवादी जो भी करेगा उससे गलती होने वाली है। यह गांधीवादी का कसूर नहीं है। यह कोई मोरार जी देसाई का या किसी और का कसूर नहीं है। गांधीवाद की जो दृष्टि है वह दृष्टि चूंकि गलत है। इसलिए जो भी उससे इंप्लीमेंटेशन करेगा वह झंझट में पड़ जाएगा, वह इसी तरह की झंझट होने वाली है। मेरा जो कहना है न, जो मैं कह रहा हूं अगर वह दृष्टि वैज्ञानिक है तो उसके इंप्लीमेंटेशन करने वाला सफल हो जाएगा। और अगर वह जो दृष्टि वैज्ञानिक नहीं है, तो इंप्लीमेंटेशन नहीं हो सकता, वह खत्म हो जाएगा। अनुयायी का दोष नहीं है उतना । मेरा मतलब आप समझ रहे हैं न? जितना वाद का दोष है। (प्रश्न का ध्वनिमुद्रण स्पष्ट नहीं।) न, यह तो ठीक कहते हैं आप। असल बात यह है, असल बात यह है कि जब कोई फिलासफी उनके अनुयायियों के द्वारा नष्ट होती है तो दो-तीन कारण होते हैं। Page 102 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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