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________________ लोकतंत्र का अभिनत्व आप क्या देखते हैं। वही तो मैंने कहा, वही विकल्प है। (प्रश्न का ध्वनि-मुद्रण स्पष्ट नहीं।) दूसरा खड़ा नहीं होगा। दूसरा खड़ा नहीं होगा। व्यवस्थापक वर्ग खड़ा हो जाएगा। शोषक वर्ग खड़ा नहीं होगा । तो लोकतंत्र पर आज का फायदा नहीं हुआ तो...। हमारे किसान भारत के और मजदूर जो पीड़ित हैं, शोषित हैं, लोकतंत्र द्वारा उसको फायदा नहीं होगा? न तो उनके शोषण में कोई फर्क नहीं पड़ता। उनकी पीड़ा कम हो सकती है। वह सवाल नहीं है। और लोकतंत्र से यह प्रश्न हल नहीं हो सकता ? न, यह नहीं हल किया जा सकता। उसकी वजह यह है, उसकी वजह यह है कि लोकतंत्र मानता यह है क्योंकि लोकतंत्र जो है वह कोई विवादी व्यवस्था की ही बाइ-प्रोडक्ट है। तो लोकतंत्र मानता यह है कि पूंजीपति पर दबाव डालना, उसके शोषण के इंतजाम को तोड़ना, यह लोकतंत्र का हमला है। व्यक्तिगत संपत्ति लोकतंत्र का अनिवार्य हिस्सा है। वह उसको व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम से कहता है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता होनी चाहिए प्रत्येक व्यक्ति को और व्यक्तिगत संपत्ति वह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा मानता है। अगर आप लोकतंत्र का ही नाम रखना चाहते हैं, नाम से कोई झगड़ा नहीं। लेकिन लोकतंत्र नाम रहे तो भी हमें एक व्यक्तिगत संपत्ति पर चोट करनी पड़ेगी और व्यक्तिगत संपत्ति को समर्थन देने वाली विचारधाराओं पर चोट करनी पड़ेगी तो ही व्यक्तिगत संपत्ति जाती है। भारत का भविष्य कल ही आपने कहा था कि व्यक्तिगत संपत्ति जब तक नहीं बढ़ती, तो हम भौतिकवाद... । नहीं, यह तो आप गलत समझ रहे हैं, आप समझे नहीं फिर, यह आप नहीं समझे। कैपिटिलिस्ट केन नॉट बी चेंज । हां, कैपिटलिज्म चेंज किया जा सकता है। Page 101 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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