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________________ अध्याय २२ : नारायण हेमचन्द्र ७७ ७७ २२ नारायण हेमचन्द्र लगभग इसी दरमियान स्वर्गीय नारायण हेमचंद्र विलायत आये थे। मैं सुन चुका था कि वह एक अच्छे लेखक हैं। नेशनल इंडियन एसोसियेशनवाली मिस मैनिंगके यहां उनसे मिला। मिस मैनिंग जानती थीं कि सबसे हिलमिल जाना मैं नहीं जानता। जब कभी मैं उनके यहां जाता तब चुप-चाप बैठा रहता। तभी बोलता, जब कोई बातचीत छेड़ता । उन्होंने नारायण हेमचंद्रसे मेरा परिचय कराया । नारायण हेमचंद्र अंग्रेजी नहीं जानते थे। उनका पहनावा विचित्र था। बेढंगी पतलून पहने थे। उसपर था एक बादामी रंग का मैलाकुचैला-सा पारसी काटका बेडौल कोट । न नेकटाई, न कालर । सिरपर ऊनकी गुंथी हुई टोपी और नीचे लंबी दाढ़ी । ___बदन इकहरा, कद नाटा कह सकते हैं। चेहरा गोल था, उसपर चेचकके दाग थे। नाक न नोकदार थी, न चपटी। हाथ दाढ़ीपर फिरा करता था । वहांके लाल-गुलाल फैशनेबल लोगोंमें नारायण हेमचंद्र विचित्र मालूम होते थे। वह औरोंसे अलग छटक पड़ते थे । ___“आपका नाम तो मैंने बहुत सुना है । आपके कुछ लेख भी पढ़े हैं। आप मेरे घर चलिए न ?” नारायण हेमचंद्रकी आवाज जरा भर्राई हुई थी उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया-- "आप कहां रहते हैं ?" “ स्टोर स्ट्रीटमें।" " तब तो हम पड़ोसी हैं। मुझे अंग्रेजी सीखना है । आप सिखा देंगे ?" मैंने जवाब दिया-- "यदि मैं किसी प्रकार भी आपकी सहायता कर सकू तो मुझे बड़ी खुशी होगी। मैं अपनी शक्ति-भर कोशिश करूंगा। यदि आप चाहें, तो मैं आपके यहां भी आ सकता हूं।"
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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