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________________ आत्म-कथा: भाग १ देने पड़ते। इसमें एक बारमें एक-दो शिलिंग भी खर्च हो जाते। इसमें अच्छी स्थितिके लोग आते । दूसरे विभागमें छ: पेनीमें तीन चीजें पीर डबल रोटीका एक टुकड़ा मिलता। जब मैंने खूब किफायतशारी इख्तियार की तब ज्यादातर मैं छः पेनीवाले विभागमें भोजन करता। इन प्रयोगोंमें उप-प्रयोग तो बहुतेरे हो गये। कभी स्टार्चवाली चीजें छोड़ देता। कभी सिर्फ रोटी और फलपर ही रहता। कभी पनीर, दूध और अंडे ही लेता। यह आखिरी प्रयोग लिखने लायक है। यह पंद्रह दिन भी न चला। जो बिना स्टार्चकी चीजें खानेका समर्थन करते थे, उन्होंने अंडोंकी तारीफके खूब पूल बांधे थे और यह साबित किया था कि अंडे मांस नहीं हैं। हां, इतनी बात तो थी कि अंडे खानेसे किसी जीवित प्राणीको कष्ट नहीं होता था। सो इस दलीलक चक्करमें आकर अपनी प्रतिज्ञाके रहते हुए भी मैंने अंडे खाये। पर मेरी यह मूर्छा थोड़ी ही देर ठहरी । प्रतिज्ञाका नया अर्थ करनेका मुझे अधिकार न था। अर्थ तो वही ठीक है, जो प्रतिज्ञा दिलानेवाला करे। मैं जानता था कि जिस समय मांने मांस न खानेकी प्रतिज्ञा दिलाई थी, उस समय उसे यह खयाल नहीं हो सकता था कि अंडा मांससे अलग समझा जा सकेगा। इसलिए ज्योंही प्रतिज्ञाका यह रहस्य मेरे ध्यानमें आया मैंने अंडे छोड़ दिये और यह प्रयोग बंद कर दिया। यह रहस्य सूक्ष्म और ध्यानमें रखने योग्य है। विलायतमें मैंने मांसकी तीन ब्याख्यायें पढ़ी थीं। एकमें मांसका अर्थ था पशु-पक्षीका मांस । इसलिए इस व्याख्याके कायल लोग उसको तो न छूते, परंतु मछली खाते और अंडे तो खाते ही। दूसरी व्याख्याके अनुसार जिन्हें आमतौरपर प्राणी या जीव कहते थे उनका मांस वर्जित था। इसके अनुसार मछली त्याज्य थी, परंतु अंडे ग्राह्य थे। तीसरी व्याख्यामें आमतौरपर प्राणीमात्र और उनमेंसे बनने वाली चीजें निषिद्ध मानी गई थीं। इस व्याख्याके अनुसार अंडे और दूध भी छोड़ देना लाजिमी था। इसमें यदि पहली व्याख्याको मैं मानता तो मैं मछली भी खा सकता था। परंतु मैंने अच्छी तरह समझ लिया था कि मेरे लिए तो माताजीकी व्याख्या ही ठीक थी। इसलिए यदि मुझे उनके गामने की गई अतिजाका पालन करना हो तो मैं अंडे नहीं ले सकता था। इसलिए अंडे छोड़ दिये, पर इससे कठिनाईमें पड़ गया, क्योंकि
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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