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________________ ४८२ आत्म-कथा : भाग ५ इस निमंत्रण-पत्र में यह भी लिखा गया था कि इसमें खिलाफतके प्रश्नकी चर्चा की जायगी और साथ ही गो-रक्षाके विषयपर भी विचार किया जायगा. एवं यह सुझाया गया था कि गो-रक्षाको साधनेका यह बड़ा अच्छा अवसर है। मुझे यह वाक्य खटका । इस निमंत्रण-पत्रके उत्तरमें मैंने लिखा था कि पानेका यत्न करूंगा और साथ ही यह भी सूचित किया था कि खिलाफत और गोरक्षाको एक साथ मिलाकर उन्हें परस्पर बदलेका सवाल न बनाना चाहिए-- हरेकके महत्त्वका निर्णय उनके गुणदोषको देखकर करना चाहिए सभामें मैं गया। उपस्थिति अच्छी थी। फिर भी ऐसा दृश्य नहीं था कि हजारों लोग पीछेसे धक्का-मुक्की करते हों। इस सभामें श्रद्धानंदजी उपस्थित थे। उनके साथ इस विषयपर मैंने बातचीत कर ली। उन्हें मेरी दलील पसंद आई और उन्होंने कहा कि आप इसे सभामें पेश करें। हकीम साहबके साथ भी मशवरा कर लिया था। मेरा कहना यह था कि दोनों प्रश्नोंका विचार उनके गुण-दोषके अनुसार अलग-अलग होना चाहिए। यदि खिलाफतके प्रश्नमें तथ्य हो, उसमें सरकारकी अोरसे अन्याय होता हो, तो हिंदुओंको मुसलमानोंका साथ देना चाहिए, और इसके साथ गो-रक्षाको नहीं मिला सकते । और यदि हिंदू ऐसी कोई शर्त रक्खें तो वह जेबा नहीं देगी। मुसलमान खिलाफतमें मदद लेने के लिए , उसके एवजमें, गोवध बंद करें तो इसमें उनकी शोभा नहीं; एक तो पड़ौसी, फिर एक ही भूमिके रहनेवाले होनेके कारण हिंदुओंके मनोभावोंका आदर करने के लिए यदि वे स्वतंत्ररूपसे गोवध बंद करें तो यह उनके लिए शोभाकी बात होगी। यह उनका कर्तव्य है; पर यह प्रश्न स्वतंत्र है। यदि वास्तवमें यह उनका कर्तव्य है, और इसे वे अपना कर्तव्य समझें भी, तो फिर हिंदू खिलाफतमें मदद करें या न करें, पर मुसलमानोंको गोवध बंद कर देना उचित है। इस तरह दोनों प्रश्नोंपर स्वतंत्र रीतिसे विचार होना चाहिए और इस कारण सभामें तो सिर्फ खिलाफतके विषयपर ही विचार होना उचित है। यह मेरी दलील थी। सभाको वह पसंद आई । गो-रक्षाके सवालपर सभामें चर्चा न हुई। परंतु मौ० अब्दुल बारी साहबने कहा--- हिंदू लोग चाहे खिलाफतमें मदद करें या न करें, हम चूंकि एक ही मुल्कके हैं, मुसलमानोंको हिंदुओंके जजबातके खातिर गोकुशी बंद कर देनी चाहिए। और एक बार तो ऐसा ही प्रतीत हुअा, मानो मुसल
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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