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________________ अध्याय १४ : अहिंसादेवीका साक्षात्कार ४१७ यदि चाहते हों तो उनकी स्थितिकी जांच करनेका मुझे पूरा अधिकार है।" कमिश्नर साहबसे मिला तो उन्होंने तो मुझे धमकानेसे ही शुरूपात की और आगे कोई कार्रवाई न करते हुए मुझे तिरहुत छोड़नेकी सलाह दी। मैंने साथियोंसे ये सब बातें करके कहा कि संभव है, सरकार जांच करनेसे मझे रोके और जेल-यात्राका समय शायद मेरे अंदाजसे पहले ही आजाय । यदि पकडे जानेका ही मौका आवे तो मुझे मोतीहारी और हो सके तो बेतियामें गिरफ्तार होना चाहिए। इसलिए जितनी जल्दी हो सके मुझे वहां पहुंच जाना चाहिए। . चंपारन तिरहुत जिलेका एक भाग था और मोतीहारी उसका एक मुख्य शहर । बेतियाके ही आसपास राजकुमार शुक्लका मकान था । और उसके आसपास कोठियोंके किसान सबसे ज्यादा गरीब थे। उनकी हालत दिखानेका लोभ राजकुमार शुक्लको था और मुझे अब उन्हींको देखनेकी इच्छा थी, इसलिए साथियोंको लेकर मैं उसी दिन मोतीहारी जाने के लिए रवाना हुआ। मोतीहारीमें गोरखबाबूने आश्रय दिया और उनका घर खासी धर्मशाला बन गया । हम सब ज्यों-त्यों करके उसमें समा सकते थे। जिस दिन हम पहुंचे उसी दिन हमने सुना कि मोतीहारीसे पांचेक मील दूर एक किसान रहता था और उसपर बहुत अत्याचार हुआ था। निश्चय हुआ कि उसे देखने के लिए धरणीधरप्रसाद वकीलको लेकर सुबह जाऊं। तदनुसार सुबह होते ही हम हाथीपर सवार होकर चल पड़े। चंपारनमें हाथी लगभग वही काम देता है जो गुजरातमें बैलगाड़ी देती है। हम आधे रस्ते पहुंचे होंगे कि पुलिस-सुपरिंटेंडेंट का सिपाही आ पहुंचा। और उसने मुझसे कहा- “सुपरिटेंडेंट साहबने आपको सलाम भेजा है।" मैं उसका मतलब समझ गया। धरणीधरबाबूसे मैंने कहा, आप आगे चलिए, और मैं उस जासूसके साथ उस गाड़ीमें बैठा, जो वह किराये पर लाया था। उसने मुझे चंपारन छोड़ देनेका नोटिस दिया। घर लेजाकर उसपर मेरे दस्तखत मांगे। मैंने जवाब दिया कि “मैं चंपारन छोड़ना नहीं चाहता। आगे मुफस्सिलातमें जाकर जांच करनी है ।" इस हुक्मका अनादर करनेके अपराधमें दूसरे ही दिन मुझे अदालतमें हाजिर होनेका समन मिला । ... सारी रात जगकर मैंने जगह-जगह आवश्यक चिट्ठियां लिखीं और जो-जो आवश्यक बातें थीं वे बृजकिशोरबाबूको समझा दी। २७
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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