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________________ अध्याय ३ : धमकी ? गया। वहां तो मैं किसीके लिए अजनबी था नहीं। डाक्टर मुझे देखकर शर्माये और उस जांच-कर्मचारीपर गुस्सा होने लगे। मुझे इसमें गुस्सेकी कोई वजह मालूम नहीं होती थी। उसने तो अपना फर्ज अदा किया था। एक तो वह मुझ पहचानता नहीं था और दूसरे पहचाननेपर भी उसका तो फज यही था कि जो हुक्म मिला उसकी तामील करे; परंतु मैं था मशहूर आदमी । इसलिए राजकोटमें मुझे कहीं जांच करनेके लिए जानेके बदले लोग घर आकर मेरी पूछ-ताछ करन लगे। तीसरे दरजेके मुसाफिरोंकी जांच ऐसे मामलोंमें आवश्यक है। जो लोग बड़े समझे जाते हैं वे भी अगर तीसरे दर्जेमें सफर करें तो उन्हें उन नियमोंका पालन, जो गरीबोंपर लगाये जाते हैं, खुद-ब-खुद करना चाहिए और कर्मचारियोंको भी उनका पक्षपात न करना चाहिए; परंतु मेरा तो अनुभव यह है कि कमचारी लोग तीसरे दर्जे के मुसाफिरोंको अादमी नहीं, बल्कि जानवर समझते हैं। अबेतबेके सिवाय उनसे बोलते नहीं हैं। तीसरे दर्जेका मुसाफिर न तो सामने जवाब दे सकता है, न कोई बात कह सकता है । बेचारोंको इस तरह पेश आना पड़ता है, मानो वह उच्च कर्मचारीका कोई नौकर हो। रेलके नौकर उसे पीट देते हैं, रुपये-पैसे छीन लेते हैं, उसकी ट्रेन चुका देते हैं। टिकट देते समय उनको बहुत हलाते हैं। ये सब बातें मैंने खुद अनुभव की हैं। इस बुराईका सुधार उसी हालतमें हो सकता है, जबकि पढ़े-लिखे और धनी लोग गरीबकी तरह रहने लगें और तीसरे दर्जेमें सफर करके ऐसी एक भी सुविधाका लाभ न उठावें जो गरीब मुसाफिरको न मिलती हो और वहांकी असुविधा, अविवेक, अन्याय और वीभत्सताको चुपचाप न सहन करते हुए उसका विरोध करें और उसको मिटा दें। काठियावाड़में मैं जहां-जहां गया, वहां-वहां वीरमगामको जकातकी जांचसे होनेवाली तकलीफोंकी शिकायतें मैंने सुनीं । इसलिए लार्ड विलिंग्डनने जो निमंत्रण मझे दे रक्खा था उसका मैंने तुरंत उपयोग किया। इस संबंधमें जितने कागज-पत्र मिल सकते थे सब मैंने पढ़े। मैंने देखा कि इन शिकायतोंमें बहुत तथ्य था । उसको दूर करनेके लिए मैंने बंबई-सरकारसे लिखा-पढ़ी की। उसके सेक्रेटरीसे मिला। लार्ड विलिंग्डनसे भी मिला। उन्होंने सहानुभूति दिखाई; परंतु कहा कि दिल्लीकी तरफसे ढील
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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