SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 380
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय ४१ : गोखलेकी उदारता ३६३ जब मैं बीमार हुआ था तब मेरी बीमारी भी हमारी चर्चाका एक विषय हो गई थी । मेरे भोजनके प्रयोग तो उस समय भी चल ही रहे थे । उस समय मैं मूंगफली, कच्चे और पक्के केले, नीबू, जैतूनका तेल, टमाटर, अंगूर इत्यादि चीजें खाता था । दूध, अनाज, दाल वगैरा चीजें बिलकुल न लेता था । मेरी देखभाल जीवराज मेहता करते थे । उन्होंने मुझे दूध और अनाज लेनेपर बड़ा जोर दिया। इसकी शिकायत ठेठ गोखलेतक पहुंची । फलाहार-संबंधी मेरी दलीलोंके वह बहुत कायल न थे । तंदुरुस्तीकी हिफाजतके लिए डॉक्टर जो-जो बतावे वह लेना चाहिए, यही उनका मत था । गोखलेके आग्रहको न मानना मेरे लिए बहुत कठिन बात थी । जब उन्होंने बहुत ही जोर दिया तब मैंने उनसे २४ घंटेतक विचार करनेकी इजाजत मांगी | केलनवेक और मैं घर आये। रास्तेमें मैंने उनके साथ चर्चा की कि इस समय मेरा क्या धर्म है । मेरे प्रयोगमें वह मेरे साथ थे । उन्हें यह प्रयोग पसंद भी था । परंतु उनका रुख इस बातकी तरफ था कि यदि स्वास्थ्य के लिए मैं इस प्रयोगको छोड़ दूं तो ठीक होगा । इसलिए अब अपनी अंतरात्माकी श्रावाजका फैसला लेना ही बाकी रह गया था । छोड़ दूं तो मेरे सारे विचार और मंतव्य सारी रात मैं विचारमें डूबा रहा । अब यदि मैं अपना सारा प्रयोग धूलमें मिल जाते थे । फिर उन विचारोंमें मुझे कहीं भी भूल न मालूम होती थी । इसलिए प्रश्न यह था कि किस शतक गोखलेके प्रेमके अधीन होना मेरा धर्म है, अथवा शरीर रक्षा के लिए ऐसे प्रयोग किस तरह छोड़ देना चाहिए। अंतको मैंने यह निश्चय किया कि धार्मिक दृष्टिसे प्रयोगका जितना अंश आवश्यक है उतना रक्खा जाय और शेष बातों में डाक्टरकी आज्ञा पालन किया जाय। मेरे दूध त्यागने में धर्म-भावनाकी प्रधानता थी । कलकत्तेमें गाय-भैंसका दूध जिन घातक विधियों द्वारा निकाला जाता है उसका दृश्य मेरी प्रांखों के सामने था । फिर यह विचार भी मेरे सामने था कि मांसकी तरह पशुका दूध भी मनुष्यकी खूराक नहीं हो सकती। इसलिए दूध - त्यागका दृढ़ निश्चय करके मैं सुबह उठा । इस निश्चय से मेरा दिल बहुत हलका हो गया था, किंतु फिर भी गोखलेका भय तो था ही । लेकिन साथ ही मुझे यह भी विश्वास था कि वह मेरे निश्चयको उलटनेका उद्योग न करेंगे ।
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy