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________________ २६४ आत्म-कथा : भाग ४ शिकार हुए और अपन भयंकर अवस्था लेकर वे लोकेशन में अपने घर प्राये । 16 इन दिनों भाई मदनजीत 'इंडियन ओपीनियन के ग्राहक बनाने और चंदा वसूल करने यहां आये हुए थे । वह लोकेशनमें चक्कर लगा रहे थे । वह काफी हिम्मतवर थे । इन बीमारोंको देखते ही उनका दिल टूक-टूक होने लगा । उन्होंने मुझे पेंसिल से लिखकर एक चिट भेजी, जिसका भावार्थ यह था-'यहां एकाएक काला प्लेग फैल गया है । आपको तुरंत यहां आकर कुछ सहायता करनी चाहिए नहीं तो बड़ी खराबी होगी। तुरंत ग्राइए ।" मदनजीतने बेधड़क होकर एक खाली मकानका ताला तोड़ डाला और उसमें इन बीमारोंको लाकर रक्खा । मैं साइकिलपर चढ़कर 'लोकेशन' में पहुंचा। वहांसे टाउन-क्लर्कको खबर भेजी और कहलाया कि किस हालत में मकानका ताला तोड़ लेना पड़ा । डाक्टर विलियम गाडफ्रे जोहान्सबर्ग में डाक्टरी करते थे । वह खबर मिलते ही दौड़े प्राये और बीमारोंके डाक्टर और परिचारक दोनों बन गय । परंतु बीमार थे तेईस और सेवक थे हम तीन । इतने से काम चलना कठिन था । अनुभवोंके आधारपर मेरा यह विश्वास बन गया है कि यदि नीयत साफ हो तो संकटके समय सेवक और साधन कहीं न कहीं से प्रा जुटते हैं । मेरे दफ्तर में कल्याणदास, माणिकलाल और दूसरे दो हिंदुस्तानी थे । आखिरी दोके नाम इस समय मुझे याद नहीं हैं । कल्याणदासको उसके बापने मुझे सौंप रक्खा था । उनके जैसे परोपकारी और केवल आज्ञा-पालनसे काम रखनेवाले सेवक मैंने वहां बहुत थोड़े देखे होंगे। सौभाग्यसे कल्याणदास उस समय ब्रह्मचारी थे । इसलिए उन्हें मैं कैसे भी खतरेका काम सौंपते हुए कभी न हिचकता । दूसरे व्यक्ति माणिकलाल मुझे जोहान्सबर्ग में ही मिले थे । मेरा खयाल है कि वह भी कुंवारे ही थे । इन चारोंको चाहे कारकुन कहिए, चाहे साथी या पुत्र कहिए, मैंने इसमें होम देनेका निश्चय कर लिया। कल्याणदाससे तो पूछने की जरूरत ही नहीं थी, और दूसरे लोग पूछते ही तैयार हो गये। “जहां आप तहां हम" यह उनका संक्षिप्त और मीठा जवाब था । मि० रीचका परिवार बड़ा था। वह खुद तो कूद पड़नेके लिए तैयार थे; किंतु मैंने ही उन्हें ऐसा करनेसे रोका । उन्हें इस खतरेमें डालनेके लिए मैं
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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