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________________ ६२४ ६२५ ( ५५ ) २१ योग के आठ अंग–यम और नियम ६१३ क. आसन और प्राणायाम २२ वायुतत्त्व का निरूपण ६१६ २३ प्रत्याहार का निरूपण ६२१ क. धारणा और ध्यान ६२३ २४ योग से प्राप्त होने वाली सिद्धियाँ ६२४ क. मधुमती-सिद्धि ख. अन्य सिद्धियाँ-मधुप्रतीका, विशोका, संस्कारशेषा २५ कैवल्य की प्राप्ति-प्रकृति और पुरुष को ६२८ क. योगशास्त्र के चार पक्ष ६२९ ( १६ ) शांकर-दर्शन ( अद्वैतवेदान्त) ६३१-७६० १ परिणामवाद-खण्डन-प्रकृति की सिद्धि अनुमान से असंभव ६३१ क. प्रकृति के लिये श्रुति-प्रमाण भी नहीं है ख. सांख्य-दर्शन के दृष्टान्त का खण्डन २ वेदान्तसूत्र की विषय-वस्तु ६४१ ३ ब्रह्म की जिज्ञासा-प्रथम अधिकरण ६४५ ४ आत्मा की जिज्ञासा-सन्देह की असंभावना क. आत्मा की जिज्ञासा असंभव-प्रयोजन का अभाव ५ ब्रह्म-जिज्ञासा का आरम्भ सम्भव-उत्तरपक्ष ___ क. उपक्रम आदि लिंगों के उदाहरण-आत्मा की सिद्धि ६ आत्मा का अध्यास-वैशेषिक-मत की परीक्षा क. आत्मा के अध्यास की पुनः सिद्धि-भेद का खण्डन ख. जैनमत में स्वीकृत जीव पर विचार ७ विज्ञानवादी बौद्धों का खण्डन-विज्ञान आत्मा ६६८ ८ आत्मा के विषय में सन्देह ६७१ ९ ब्रह्म की सिद्धि के लिये आगम प्रमाण ६७३ क. सिद्ध अर्थ का बोधक होने से वेद अप्रमाण-पूर्वपक्ष ६७५ ख. सिद्ध अर्थ में शब्दों की व्युत्पत्ति-उत्तरपक्ष १० अध्यास का निरूपण-प्रपंच का विवर्तरूप होना क. अध्यास के भेद-दो प्रकार से ११ अध्यास का मीमांसकों के द्वारा खण्डन-लम्बा पूर्वपक्ष क. मिथ्याज्ञान के लिये कारण-सामग्री का अभाव ख. असत् अर्थ का ज्ञान नहीं होता ६८९ or ur rror ६५६ ६५८. ६५९ ६७८ ८६ ६८३ ६८५ ६८७
SR No.091020
Book TitleSarva Darshan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmashankar Sharma
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size38 MB
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