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सर्वदर्शनसंग्रहे
कलादि, तीन अन्तःकरण-इनके विवरण के लिए आगे देखें। ] तत्त्वप्रकाश में यह भी कहा गया है-'प्रलपाकल जीवों में जिनके मल और कर्म परिपक्व नहीं, वे कर्म के वश में होकर पुर्यष्टक ( तीस तत्त्वों से बनी ) देह धारण करके सभी योनियों में विचरण करते
रहते हैं।'
पुर्यष्टकमपि तत्रैव निर्दिष्टम्स्यात्पुर्यष्टकमन्तःकरणं धोकर्मकरणानि । इति ।
विवृतं चाघोरशिवाचार्येण-पुर्यष्टकं नाम प्रतिपुरुषं नियतः, सर्गादा रभ्य कल्पान्तं मोक्षान्तं वा स्थितः, पृथिव्यादिकलापर्यन्तस्त्रिशत्तत्त्वात्मकः, सूक्ष्मो देहः। तथा चोक्तं तत्त्वसंग्रहे२२. वसुधाद्यस्तत्त्वगणः प्रतिपुंनियतः कलान्तोऽयम् ।
पर्यटति कर्मवशाद् भुवनजदेहेष्वयं च सर्वेषु ॥ इति । पुर्यष्टक का उल्लेख भी उसी स्थान पर हुआ है—अन्तःकरण ( मन, बुद्धि और अहंकार तथा सात कलादि ), बुद्धि के कर्म (= ज्ञेय; पांच भूत+पाँच तन्मात्र) और करण ( साधन अर्थात् दस इन्द्रियाँ, क्योंकि वे ज्ञान और कर्म के साधन हैं )-इसे पुर्यष्टक कहते हैं।
अघोरशिवाचार्य ने इसका विवरण दिया है-पुर्यष्टक उस सूक्ष्म देह को कहते हैं जो प्रत्येक पुरुष के लिए निश्चित रहती है; सृष्टि के आरम्भ से लेकर कल्प के अन्त तक या मोक्ष के अन्त तक स्थिर रहती है और पृथ्वी आदि कलापर्यन्त तीस तत्त्वों से निर्मित होती है । जैसा कि तत्त्वसंग्रह में कहा गया है-'वसुधा ( पृथिवी ) से आरम्भ करके कला-पर्यन्त जो तत्त्वों का समूह है वह प्रत्येक पुरुष के लिए नियत है तथा कर्मसिद्धान्त के अनुसार वह भुवन में उत्पन्न होनेवाले ( पशु, पक्षी, मनुष्य आदि ) सभी जीवों के शरीरों में घूमता रहता है।' __ तथा चायमर्थः समपद्यत--अन्तःकरणशब्देन मनोबुद्धचहंकारवाचिनाऽन्यान्यपि पुंसो भोगक्रियायामन्तरङ्गाणि कला-काल-नियति-विद्या-रागप्रकृति-गुणाख्यानि सप्त तत्त्वान्युपलक्ष्यन्ते । धीकर्मशब्देन ज्ञयानि पञ्चभूतानि तत्कारणानि च तन्मात्राणि विवक्ष्यन्ते । करणशब्देन ज्ञानकर्मेन्द्रियदशकं संगृह्यते। ___ इस प्रकार यह अर्थ सम्पन्न हुआ–'अन्तःकरण' शब्द से मन, बुद्धि और अहंकार का बोध होता है । पुरुष की भोग-क्रिया में अनिवार्य ( अन्तरंग ) रूप से विद्यमान कला, काल, नियति ( अदृष्ट Fate ), विद्या, राग ( Infatuation विषयासक्ति ), प्रकृति और गुण-इन सात तत्त्वों को भी उसी से उपलक्षित ( Include ) किया जाता है। 'धोकर्म' शब्द से ज्ञेय पांच भूतों को और उनके कारणरूप पांच तन्मात्रों को समझा जाता