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सर्वदर्शनसंग्रहे
देते हैं ॥ १३ ॥ इसीलिए लीला दिखाते हुए वे अपनी पांच मूर्तियां रखते हैं--प्रतिमादि को अर्चा कहते हैं, अवतार विभव से सम्बद्ध हैं ॥ १४ ॥
१५. सङ्कर्षणो वासुदेवः प्रद्युम्नश्चानिरुद्धकः ।
व्यूहश्चतुर्विधो ज्ञेयः सूक्ष्म सम्पूर्णषड्गुणम् ॥ १६. तदेव वासुदेवाख्यं परं ब्रह्म निगद्यते ।
अन्तर्यामी जीवसंस्थो जीवप्रेरक ईरितः ॥ १७. य आत्मनीति वेदान्तवाक्यजालनिरूपितः । ___अर्थोपासनया क्षिप्ते कल्मषेऽधिकृतो भवेत् ॥ १८. विभवोपासने पश्चाद् व्यहोपास्तौ ततः परम् ।
सूक्ष्मे तदनु शक्तः स्यादन्तर्यामिणमीक्षितुम् ॥ इति। 'संकर्षण, वासुदेव, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध-इस प्रकार व्यूह चार प्रकार का समझें । छहों गुणों से परिपूर्ण ( मूर्ति ) को सूक्ष्म कहते हैं, इसे ही वासुदेव नामक परब्रह्म कहते हैं । अन्तर्यामी जीव में स्थित जीव के प्रेरक के रूप में समझा जाता है ॥ १५-१६॥' 'जो आत्मा में...'इस प्रकार के वेदान्त ( उपनिषद् )-वाक्यों के समूह से वह निरूपित होता है । अर्चा की उपासना करने से पाप के नष्ट हो जाने पर, भक्त, विभव की उपासना का अधिकार पाता है। बाद में व्यूह की उपासना में अधिकृत होता है, तब सक्ष्म की उपासना में। उसके बाद ही भक्त अन्तर्यामी को देखने की शक्ति पा सकता है ॥ १७-१८ ॥'
(१८. उपासना के पाँच प्रकार और मुक्ति) तदुपासनं च पञ्चविधमभिगमनमुपादानमिज्या स्वाध्यायो योग इति श्रीपञ्चरात्रेभिहितम् । तत्राभिगमनं नाम देवतास्थानमार्गस्य सम्मार्जनोपलेपनादि । उपादानं गन्धपुष्पादिपूजासाधनसम्पादनम् । इज्या नाम देवतापूजनम् । स्वाध्यायो नाम अर्थानुसन्धानपूर्वको मन्त्रजपो वैष्णवसूक्तस्तोत्रपाठो नामसंकीर्तनं तत्त्वप्रतिपादकशास्त्राभ्यासश्च । योगो नाम देवतानुसंधानम् । ___ उस ( ईश्वर ) की उपासना पाँच प्रकार की होती है-अभिगमन ( Access ), उपासना ( Preparation ), इज्या ( Oblation ), स्वाध्याय ( Recitation ) और योग ( Devotion ), ऐसा श्रीपञ्चरात्र नामक ग्रन्थ ( लेखक अज्ञात, प्राचीन ग्रन्थ) में लिखा है।
देव-मन्दिर के रास्ते को साफ करना, लीपना आदि अभिगमन है । गन्ध फूल आदि पूजा की सामग्रियों को एकत्र करना उपादान है । देवता की पूजा करना इज्या है । अर्थ पर ध्यान रखते हुए मन्त्रों का जप करना, वैष्णव सूक्तों और स्तोत्रों का पाठ करना, नाम का कीर्तन करना तथा तत्त्व का प्रतिपादन करनेवाले शास्त्रों का अभ्यास करना स्वाध्याय कहलाता है । देवता का ध्यान करना योग है।