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5. प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास-ले. डॉ.
नेमिचन्द्रशास्त्री, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी 6. प्राकृत साहित्य का इतिहास - ले. डॉ. जगदीशचन्द्र जैन, चौखम्बा
विद्याभवन, वाराणसी 7. भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान - ले. डॉ. हीरालाल जैन,
मध्यप्रदेश शासन साहित्य परिषद, भोपाल 8. जिनवाणी (जैनागम साहित्य-विशेषांक 2002 अंक 1, 2, 3, 4) -
सं. डॉ. धर्मचन्द्र जैन, सम्यग्ज्ञान, प्रचारक मण्डल, जयपुर
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