SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 4 छेदसूत्र 1. दशाश्रुतस्कन्ध (आयारदसाओ) 2. बृहत्कल्प (कप्पो) 3. व्यवहार (ववहारो) 4. निशीथसूत्र (निसीह) बत्तीसवाँ सूत्र - आवश्यकसूत्र (आवस्सयं) दिगम्बर सम्प्रदाय में मान्य आगम दिगम्बर सम्प्रदाय द्वारा मान्य ग्रन्थ हरिवंशपुराण एवं धवलाटीका में 12 अंगों एवं 14 अंगबाह्यों का उल्लेख है। अंगबाह्यों में सर्वप्रथम सामायिक आदि छ: आवश्यकों का उल्लेख है, तत्पश्चात् दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, कल्पव्यवहार, कल्पिकाकल्पिक; महाकल्प, पुण्डरीक, महापुण्डरीक एवं निशीथ का उल्लेख है। दिगम्बर परम्परा के अनुसार उपर्युक्त 12 अंगों एवं 14 अंगबाह्यों का लोप हो गया है। इसलिए दिगम्बर जैन सम्प्रदाय पूर्वधर आचार्यों एवं परवर्ती आचार्यों द्वारा रचित जिन ग्रन्थों को आगम की श्रेणी में रखते हैं, उनमें से प्रमुख नाम निम्न हैं1. षट्खण्डागम (छक्खंडागमो) 2. कषायप्राभृत (कसायपाहुडं) 3. आचार्य कुन्दकुन्द के ग्रन्थ - समयसार (समयसारो), प्रवचनसार (पवयणसारो), पंचास्तिकाय (पंचत्थिकायो), नियमसार (नियमसारो), अष्टपाहुड (अट्ठपाहुड) आदि 4. त्रिलोकप्रज्ञप्ति (तिलोयपण्णत्ती) 5. भगवती आराधना (भगवदी आराधणा) 6. मूलाचार (मूलायारो) 7. अन्य ग्रन्थ – गोम्मटसार, क्षपणसार, लोकविभाग आदि । ये सभी आगम श्रेणी के दिगम्बर ग्रन्थ शौरसेनी प्राकृत में निबद्ध हैं, जिनकी रचना विभिन्न आचार्यों के द्वारा हुई है।
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy