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9. अनुत्तरौपपातिकदशा (अनुत्तरोववाइयदसाओ) 10. प्रश्नव्याकरण (पण्हावागरणाई) 11. विपाकसूत्र (विवागसुयं) नोट - दृष्टिवाद नामक 12वाँ अंग उपलब्ध नहीं है। इसका उल्लेख नन्दीसूत्र, समवायांग एवं स्थानांगसूत्र में मिलता है।
12 उपांग 1. औपपातिक (उववाइयं) 2. राजप्रश्नीय (रायपसेणइयं) 3. जीवाजीवाभिगम (जीवाजीवाभिगमो) 4. प्रज्ञापना (पण्णवणा) 5. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति (जम्बुद्दीवपण्णत्ती) 6. चन्द्रप्रज्ञप्ति (चंदपण्णत्ती) 7. सूर्यप्रज्ञप्ति (सूरपण्णत्ती) 8.निरयावलिका (निरयावलिया) 9. कल्पावतंसिका (कप्पवडंसिया) 10. पुष्पिका (पुप्फिया) 11. पुष्पचूलिका (पुप्फचूला) 12. वृष्णिदशा (वण्हिदसा)
10 प्रकीर्णक 1. चतुःशरण (चउसरणं) 2. आतुरप्रत्याख्यान (आउरपच्चक्खाणं) 3. भक्तपरिज्ञा (भत्तपरिण्णा) 4. संस्तारक (संथारओ) 5. तंदुलवैचारिक (तंडुलवेयालिय) 6. चन्द्रवेध्यक (चंदावेज्झय) 7. देवेन्द्रस्तव (देविंदत्थओ) 8. गणिविद्या (गणिविज्जा) 9. महाप्रत्याख्यान (महापच्चक्खाणं) 10. वीरस्तव (वीरत्थओ) नोट - कहीं कहीं पर वीरस्तव के स्थान पर इस गणना में मरणसमाहि का नाम लिया जाता है।
___ 6 छेदसूत्र 1. दशाश्रुतस्कन्ध (आयारदसाओ) 2. बृहत्कल्प (कप्पो) 3. व्यवहार (ववहारो)
4. निशीथसूत्र (निसीह) 5. महानिशीथ (महानिसीह) 6. जीतकल्प (जीयकप्पो)