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________________ किया है कि संस्कृत भाषा में निपुणता प्राप्त किये बिना भी प्राकृत भाषा का अध्ययन स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है। यही नहीं प्राकृत और अपभ्रंश भाषा का अंग्रेजी के माध्यम से अध्ययन करने वाले अध्ययनार्थियों के लिए उन्होंने उपर्युक्त पुस्तकों में से आवश्यक पुस्तकों का प्रकाशन अंग्रेजी में प्रारम्भ कर दिया है। इसी क्रम में Apabhramsa Grammar & Composition नामक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। Prakrta Grammar & Composition, Apabhramsa Exercise Book & Prākrta Exercise Book नामक पुस्तकें प्रकाशन प्रक्रिया में हैं। प्राचीन अर्धमागधी की खोज में ___ पालि-प्राकृत के मनीषी स्व. प्रो. के. आर. चन्द्रा ने अर्धमागधी आगम ग्रन्थों के सम्पादन कार्यों को गति देने के लिए तथा प्राचीन अर्धमागधी व्याकरण के नियमों को निर्धारित करने के लिए प्राचीन अर्धमागधी की खोज में नामक पुस्तक लिखी है, जो 1991 में प्रकाशित हुई है। प्राचीन जैन आगमों पर शोधकार्य के लिए यह पुस्तक उपयोगी है। इसके अतिरिक्त डॉ. चन्द्रा की प्राकृत भाषाओं का तुलनात्मक व्याकरण नामक कृति भी विभिन्न प्राकृतों के तुलनात्मक अध्ययन के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। प्राकृत वाक्य रचना बोध प्रसिद्ध मनीषी आचार्य महाप्रज्ञ ने आचार्य हेमचन्द्र के व्याकरण के अनुसार प्राकृत वाक्य रचना बोध नामक ग्रन्थ 1991 में प्रकाशित किया है। इसमें प्राकृत व्याकरण के 1114 सूत्र नियम के नाम से हिन्दी अनुवाद व उदाहरण सहित वर्णित हैं। यह ग्रन्थ अभ्यास के माध्यम से प्राकृत व्याकरण का ज्ञान कराता है, किन्तु इसके लिए संस्कृत भाषा का विशेष ज्ञान होना अपेक्षित है। इसी क्रम में डॉ. उदयचन्द्र जैन ने हेम-प्राकृत-व्याकरण-शिक्षक नामक पुस्तक लिखी है। इस तरह प्राकृत भाषा एवं व्याकरण पर प्राचीन वैयाकरणों के अतिरिक्त आधुनिक विद्वानों ने भी पर्याप्त कार्य किया है।
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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