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________________ की रचनाएँ हुई हैं। श्री विजयकस्तूरसूरि ने प्राकृत में पाइयविन्नाणकहा की रचना कर प्राकृत कथा साहित्य के विकास की यात्रा को जीवंत रखा है। इस ग्रन्थ में लिखी 55 कथाएँ लोकजीवन का प्रतिनिधित्व करती हैं। श्री चंदनमुनि प्राकृत कथा - ग्रंथों के आधुनिक लेखक हैं, उन्होंने रयणवालकहा की रचना की है। मुनि विमलकुमार की पियंकरकहा, साध्वी कांचनकुमारी जी की पाइयकहाओ आदि भी प्राकृत के आधुनिक कथा - ग्रन्थ हैं। ये कथा-ग्रन्थ प्राकृत कथा साहित्य की अनवरत समृद्ध परम्परा का प्रतिनिधित्व करते हैं । सहायक ग्रन्थ 1. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास (भाग 6 ) चौधरी, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी 2. प्राकृत गद्य - सोपान अकादमी, जयपुर ले. डॉ. ले. एवं सं. डॉ. प्रेमसुमन जैन, भारती प्राकृत 3. प्राकृत भारती - सं. एवं अ. डॉ. प्रेमसुमन जैन, डॉ. सुभाष कोठारी, आगम अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर 4. प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास ले. डॉ. नेमिचन्द्रशास्त्री, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी गुलाबचन्द्र OOO 5. प्राकृत साहित्य का इतिहास - ले. डॉ. जगदीशचन्द्र जैन, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी 109
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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