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________________ में कवि पूर्ण सिद्धहस्त हैं। विशेषकर शरद ऋतु के वर्णन में उनकी प्रखर प्रतिभा सामने आई है। जड़ व चेतन दोनों पर ही शारदीय सुषमा के प्रभाव का कवि ने बड़ा ही सुन्दर चित्रण किया है । यथा - तो हरिवइजसवन्थो राहवजीअस्स पढमहत्थालम्बो । सीताबाहविहाओ दहमुहवज्झदिअहो उवगओ सरओ ।। (गा. 1.16 ) अर्थात् - सुग्रीव के यश-मार्ग, राघव के जीवन के प्रथम हस्तालम्ब, सीता के आंसुओं के विघातक और रावण के वध दिवस के रूप में शरद उपस्थित हुआ । गउडवो गौडवध प्राकृत का ऐतिहासिक महाकाव्य है । इसके रचयिता महाकवि वाक्पतिराज हैं। ई. सन् 760 के लगभग कवि वाक्पतिराज ने इस महाकाव्य की रचना की है । वाक्पतिराज कन्नौज के राजा यशोवर्मन के आश्रय में रहते थे। अपने आश्रयदाता के प्रशंसार्थ ही उन्होंने इस काव्य की रचना की है। इस काव्य की कथावस्तु में यशोवर्मन द्वारा गौड (मगध ) देश के किसी राजा के वध किये जाने की घटना का वर्णन है । इसलिए इसका गउडवहो नाम सार्थक है । काव्य का प्रारंभ लम्बे मंगलाचरण से हुआ है, जिसमें 61 गाथाओं में विभिन्न देवी-देवताओं को नमस्कार किया गया है। मंगलाचरण के पश्चात् कवि ने प्राकृत काव्यों व कवियों के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। मूल कथानक का आरंभ करीब 92वीं गाथा के बाद होता है। कथानक के प्रारम्भ में कवि ने अपने आश्रयदाता यशोवर्मन की बहुत प्रशंसा की है। उसे पौराणिक राजा पृथु से महान बताते हुए विष्णु के अवतार के रूप में चित्रित किया है। इसके पश्चात् यशोवर्मन की वीरता व विजय यात्रा का वर्णन क्रम है, जिसमें वह सर्वप्रथम गौड (मगध ) देश के राजा का वध करता है 1 इसके पश्चात् बंगराज, कोंकण, मरुदेश, महेन्द्र पर्वत के निवासी आदि पर विजय प्राप्ति का वर्णन हुआ है। अंत में इस विजय यात्रा के बाद यशोवर्मन कन्नौज लौट जाता है । नायक के उत्तरार्ध जीवन का वर्णन इस काव्य में नहीं है। यह एक सरस काव्य है। जीवन के मधुर व कठोर दोनों ही पक्ष 90
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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