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________________ विविध आयामों का सशक्त प्रस्तुतीकरण करने वाला काव्य है। इसमें आदर्शवादी काव्यों से ऊपर उठकर कवि ने समाज का यथार्थ चित्रण करते हुए विभिन्न मानवीय मूल्यों की स्वाभाविक प्रतिष्ठा की है। महाकाव्य छंदोबद्ध जीवंत कथानक जो जीवन के समस्त पक्षों को उद्घाटित करने वाला हो तथा अलंकृत वर्णनों के कारण रस व प्रभाव उत्पन्न करने में सक्षम हो, उसे महाकाव्य के रूप में परिभाषित कर सकते हैं । वस्तुतः महाकाव्य में अपने युग के समस्त जीवन का चित्रण किसी विशेष कथानक के माध्यम से किया जाता है। अतः उस युग की सभी मानसिक प्रवृत्तियाँ, लोक संस्कृति, सामाजिक कार्य, व्यापार, आदि सभी कुछ उसमें स्वतः समाविष्ट हो जाते हैं। उपदेश व धर्म-तत्त्व भी कहीं-कहीं बिखरा हुआ मिल जाता है 1 प्राकृत में रसात्मक महाकाव्य कम ही प्राप्त होते हैं, किन्तु जो प्राकृत महाकाव्य उपलब्ध हैं, वे अपने अलंकृत वर्णनों तथा व्यापकता के कारण महाकाव्यों के क्षेत्रों में अपना अलग स्थान रखते हैं। उनकी काव्यात्मकता, प्रौढ़ता एवं शैली की मनोहारिता के कारण उन्हें शास्त्रीय महाकाव्यों की संज्ञा प्रदान की गई है। प्राकृत में लिखे गये उत्कृष्ट महाकाव्यों में सेतुबंध, गउडवहो, कुमारपालचरियं (द्वयाश्रय काव्य) एवं लीलावईकहा प्रमुख हैं। सेउबन्धो सेतुबंध प्राकृत का सर्वोत्कृष्ट महाकाव्य है। इसकी भाषा महाराष्ट्री प्राकृत है। इस काव्य की भाषा से प्रेरित होकर ही आचार्यों ने महाराष्ट्री प्राकृत को सर्वश्रेष्ठ प्राकृत का दर्जा प्रदान किया है। प्राकृत के इस उत्कृष्ट महाकाव्य के रचयिता महाकवि प्रवरसेन हैं। आश्वासों के अन्त में पवरसेण विरइए पद प्राप्त होता है। विभिन्न प्रमाणों के आधार पर इस महाकाव्य के रचयिता प्रवरसेन का समय पाँचवीं शताब्दी माना गया है। सेतुबंध में कुल 1291 गाथाएँ हैं, जो 15 आश्वासों में विभक्त हैं। वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड की विषयवस्तु के आधार पर कवि ने काव्यात्मक शैली में इस महाकाव्य का प्रणयन किया है। इस महाकाव्य का आधार 88
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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